यह जीवन एक विद्यालय है // जानीमानी लेखिका व कवियित्री सीमा शर्मा “तमन्ना” की कलम से
दोस्तों ….
जिसमें आने वाली प्रत्येक परिस्थितियां आपकी परीक्षा हैं जिसका पाठ्यक्रम उस ऊपर वाली मैनेजमेंट ने तय किया हैं और ये परीक्षाएं न तो स्थगित होती हैं और न ही इनका समय निर्धारित होता है बस हम इसके पाठ्यक्रम को जान कर भी अंजान बने रहते हैं अहम और स्वार्थ इस क़दर हावी हो जाता है कि हमें यह लगता कि हमारी परीक्षा तो होनी ही नहीं हम तो पहले से ही अव्वल हैं मानसिकता वैसी बनाकर इस विद्यालय में आते रहते। लेकिन! मेरे दोस्तों एक बात बताएं ! बिना परीक्षा दिए क्या हम एक ही कक्षा मेंआजीवन बैठ सकते या फिर विद्यालय अपनी प्रक्रिया पूरी किए बिना चल सकता ..?? कदापि नहीं यही तो प्रकिया है जिसमें पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार यदि आपने विद्यालय में प्रवेश लिया है तो आपको प्रत्येक कक्षा में सफल होने हेतु परीक्षा देना अनिवार्य होता है बिना इसके आप अगली कक्षा में प्रवेश नहीं ले सकते और उस कक्षा में ही रहना नियम विरुद्ध है विकास को अवरूद्ध करता है।
दोस्तों वही नियम हमारे जीवन में भी लागू होता है ……….
प्रश्न पत्र सरीखी हैं जीवन की परिस्थितियां इनको तो हर हाल में हल करना ही पड़ेगा कुछ भी इनमें वैकल्पिक नहीं होगा ये सभी अनिवार्य रुप से हल करने ही होंगे ।
जिसने संयम और पूर्ण धैर्य से परिस्थितियों को स्वीकार कर संघर्ष कर उनका सामना कर लिया वह जीवन की परीक्षा में पास हो गया और जिसने इस परीक्षा हेतु जानबूझकर भी अपनी मानसिकता को मजबूत नहीं बनाया विचलित हो गया बस इधर उधर यही सोच दूसरों को और ईश्वर को और भाग्य को दोष देता रहा बिना परिश्रम के तो सोचिएगा फिर कि ऐसी परीक्षा का परिणाम क्या हो सकता या तो साफ साफ शब्दों में कहूं तो उसकी बैक आएगी अर्थात एक और मौका कठिन परिस्थितियों का सामना कर आगे बढ़ने का अन्यथा बिना परिश्रम धैर्य खोकर सारा दोष दूसरों के ऊपर मढ़कर एक ही कक्षा में बैठे रहना अर्थात फेल हो जाना क्योंकि आपने अपने विकास का रास्ता स्वयं बन्द कर दिया कोशिश ही नहीं की परीक्षा में आए प्रश्नपत्र को समझने और उसमें दिए गए सवालों को हल करने की फिर बताएं अगली कक्षा में जाना कैसे संभव है?
कहने का तात्पर्य यही है कि हम प्रत्येक परिस्थिति के लिए किसी न किसी को जिम्मेदार ठहराकर अपने कर्मों से भागते पीछा छुड़ाते हैं जबकि जीवन रुपी इस विद्यालय में तो प्रत्येक विद्यार्थी का रिकार्ड उस ऊपर वाले के पास सहेजा जाता उसकी प्रत्येक पल की प्रतिक्रिया के अंक निश्चित होते
न किसी विद्यार्थी के अच्छे और बुरे कार्यों का पारितोषिक
और दण्ड किसी अन्य को मिल सकता और न ही यहां कोई किसी दूसरे के पहचान पत्र का प्रयोग कर उसके नाम से परीक्षा ही दे सकता ,
न ही इस विद्यालय में होने वाली परीक्षाओं में ग्रेस मार्क्स की कोई व्यवस्था है न ही पुनः परीक्षा……….!
यहां तो परिणाम बस पास या फिर फेल ही होता है दोस्तों!
इसलिए जीवन के इस विद्यालय में होने वाली परीक्षाओं हेतु
जीवन के उस पाठ्यक्रम को ध्यान पूर्वक पूरे संयम धैर्य और निष्ठा से पढ़कर तैयार करना पड़ेगा क्योंकि ऐसा करने से प्रश्न चाहे कहीं से भी कैसा भी आए आप पूरे आत्मविश्वास के साथ उसको हल कर पाएंगे यानि कि जब पूर्ण धैर्य लगन और निष्ठा से जीवन की प्रत्येक परिस्थिति से वाक़िफ हो जाएंगे जीवन के मूल मंत्र और नियम इन सभी का निर्वहन करते हुए संयम से मुकाबला करेंगे बिना किसी स्वार्थ एवं अहंकार को अपनाए किसी भी प्राणि और समय को दोष दिए बिना तो अवश्य ही जीवन रुपी विद्यालय की परीक्षाओं में अव्वल हो जाएंगे । आपके विकास का मार्ग प्रशस्त हो पाएगा । ये परीक्षाएं तो जीवन भर चलती रहेंगी जहां आपने सोचा कि हमने जीवन में सारी डिग्रियां प्राप्त कर ली हैं या फिर इसके पाठ्यक्रम को समझ कर भी नहीं समझ पाए तो वहीं उस इंसान का पतन निश्चित हो जाता क्योंकि यहां न तो पढ़ाई ही अजीवन खत्म होंगी और न ही आपके आयु ,ज्ञान,अनुभव एवं जीवन के मानदंडों को परखने हेतु परीक्षाएं ही ,यही जीवन है
सीमाशर्मा “तमन्ना”