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नववर्ष काव्य संध्या में हास्य-व्यंग और श्रृंगारिक रचनाओं का जलवा

 

जयपुर के विवेकानंद पार्क में वरिष्ठ जन समूह मंच और नई चेतना सूर्य नगर साहित्यिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में नववर्ष काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग कवि महेंद्र भट्ट को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्हें फूल मालाओं, अंगवस्त्र, और पुस्तकों के साथ सम्मानित किया गया।

काव्य संध्या का उद्घाटन और सम्मान समारोह
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार व सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक गोपाल प्रभाकर ने की। इस अवसर पर कवि आर. पी. हाथरसी के जन्मदिवस पर भी सभी ने उन्हें फूल मालाएं पहनाकर शुभकामनाएं दीं।

कवियों ने बिखेरा काव्य का रंग
कवि महेंद्र भट्ट ने अपनी सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग रचनाएं “हम किसी से नहीं कम, बोले नेताजी दम दम” और “तीन तिलंगे, एकदम महानंगे, गंगा घाट पर कर रहे थे हर हर गंगे” सुनाकर श्रोताओं को हंसी से लोटपोट कर दिया।
कवि गोपाल प्रभाकर ने श्रृंगारिक रचना “जबसे पहचान हो गई है तुमसे, तन कहीं और, मन कहीं और रहता है” सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कवि कन्हैयालाल भ्रमर ने अपनी व्यंग्यात्मक रचना “ऐसी जात निगोड़ी कुर्सी, मन ललचाती है, बड़े-बड़े नेताओं को भी नचाती है” प्रस्तुत की।
कवि आर. पी. हाथरसी ने “अनेक रंग के पुष्प यहां खुशबू अपनी बिखेर रहे हैं” जैसी कविताएं सुनाकर वाहवाही बटोरी।

अन्य कवियों का योगदान

डॉ. एम. एल. शर्मा: “चक्रव्यूह रचते हैं अपने सबसे प्यारे लोग” जैसी भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की।

भानु भारद्वाज: “लोग हाथ से हाथ ढंग से मिलाते नहीं, दिल मिलाने की बात करते हैं” सुनाकर दर्शकों को भावुक कर दिया।

हास्य कवि राजेश रजुवा: पति-पत्नी की नोंक-झोंक पर आधारित हास्य रचनाओं ने समां बांध दिया।

कार्यक्रम संचालन और समापन
कार्यक्रम का संचालन कुशलतापूर्वक कन्हैयालाल भ्रमर ने किया। अंत में एलआईसी के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी गिरीश वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।

नववर्ष की यह काव्य संध्या हास्य, श्रृंगार और व्यंग के विभिन्न रंगों से सराबोर रही, जिसे श्रोताओं ने लंबे समय तक याद रखने की बात कही।

 

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