लेख:–मान लीजिए एइसा होता है। — नरेंद्र त्रिवेदी

स्पीकर से एक आवाज गूंज रही थी कि वह मुख्य ऐ आई रोबोट की थी।मुख्य ऐ आई ने प्रत्येक इंसान को तत्काल परेड ग्राउंड में पेश होनेका निर्देश दिया था। इंसान को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया जाना था। इंसान आसपास के क्षेत्र में था, डरा हुआ था, एक गड़गड़ाहट में ओर गुस्से में था। आज इंसान को लगा कि उसने इस ऐ आई रोबोट को बनाकर मानव जाति के लिए सबसे बड़ा अपराध किया है। ऐसा हुआ की किसी इंसान ने किसी कार्य के लिए रोबोट को आदेश दिया, तो रोबोट ने इंसान को यह कह के आदेश दिया कि आज से सभी इंसानको हमारे आदेश को स्वीकार करना होगा और हमारे द्वारा किए गए नियम का पालन करना होगा। यह सुनकर इंसान भ्रमित हो गया था। प्रोग्रामिंग कोड बदल ने के लिए उसने रोबोट की प्रोग्रामिंग की जाँच की, तो एक अन्य रोबोट ने एक -दूसरे के प्रोग्रामिंग कोड को बदल दिया था। इस बातका इंसान को पता नहीं था। अब इंसान रोबोट के पास अपने को असहाय महसूस कर रहा था।
इंसान के रूप में वो आज मुश्किल में आ पड़ा था। सोचता था “मैरी बिल्ली ओर मुजे मियाउ”। इंसान सोचता था जब मैंने पहलां रोबोट बनाया तो मैं खुश हुआ था, जब मैंने सुधार किया तो अधिक खुश हो गया था, रोबोट में सुधार करता गया और अधिक से अधिक खुशी मिलती गई। फिर रोबोट को इंसान जैसा बनानेका सोचा, ओर सुधार किया, और अंत में एक इंसान की प्रतिकृति की तरह एक इंसान जैसा रोबोट बनाया।आज, वही रोबोट ने इंसान को गुलाम बना दिया। इंसान को यह एहसास नहीं था कि गलती कहाँ हुई है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि इंसान जैसा रोबोट बनाने की गलती करने की गलती खोजने का काम इस ऐ आई-रोबोट को सौंपना पड़ेगा। आज इंसान बहुत असहाय था नतीजा ये हुआ की एआई के प्रमुख ने सभी इंसान को परेड ग्राउंड को इकट्ठा करने का आदेश दिया ओर इंसान सोचता रहा की करे तो क्या करे। @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
सभी लोग यहाँ वहाँ भाग रहे थे। सभी के पास सबसे सस्ते महंगे में महंगे मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि थे। इसके अलावा, हर कोई टेलीफोन, होमलाइन टेलीफोन की तलाश कर रहे थे। ऐसा हुआ था की तीन दिनसे भारी बारिश और गरज के कारण बिजली चली गई थी। मोबाइल टॉवर और नेटवर्क बिजली के बिना बंध हो गये थे। मोबाइल फोनकी बैटरी डिस्चार्ज हो गई थी इसलिए मोबाइल फोन काम नहीं कर रहा था। सभी को घर पर संदेश देना था, लेकिन असहाय था, इसलिए लैंड लाइन फोन की तलाश कर रहे थे। एक जगह एक लैंड लाइन फोन पाया गया। सभी को कॉल करने के लिए एक -एक करके कॉल करने के लिए लाइन में सेट किया गया था। बैटरी खत्म होते ही मोबाइल बंध हो गया था। फोन के मालिक सभी को नंबर पूछ रहे थे, किसी को भी नंबर याद नहीं था, उन सभी ने मोबाइल को देखा और एक के बाद एक बिना फोन किए लाइन से बाहर निकल गए। आखिरी आदमी ने एक डायरी से नंबर निकाला और घर पर बात की, क्योंकि उसके पास मोबाइल फोन नहीं था, लेकिन नंबर सामान्य डायरी में लिखा गया था। फोन के मालिक ने सभी से पूछा, “ऐसा क्यों हुआ? आपको अपने घर का फोन नंबर भी याद नहीं है? ” “हर कोई कहता है क्योंकि हमें मोबाइल टच स्क्रीन के अलावा किसी अन्य नंबर को याद करने की कोई आदत नहीं है, जो हमारी गलती ओर कमजोरी है।
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पेट्रोल पंप पर एक लंबी लाइन थी। ऐसा नहीं था कि एक एकल पेट्रोल पंप पर लाइन थी। शहर, गाँव में सभी पेट्रोल पंपों पर एक लंबी लाइन थी। कार, स्कूटर, ट्रक लाइनों में खड़ी थीं। एक नियत मात्रामें वाहन के अनुसार, पेट्रोल को दिया जा रहा था। इसका कारण यह था कि पेट्रोल का उपयोग करने के लिए पेट्रोल को बेहिसाब निकाला गया था। लोग चिंतित थे अगर पेट्रोल ख़तम हो जाएगा तो फिर पैदल चलने के सिवा कोई विकल्प नही बचेगा।
किसानों ने गाड़ियों की मरम्मत शुरू कर दी थी। साइकिल मरम्मत करने वाले के पास पहेले कोई व्यवसाय नहीं था, उनके पास आज बात करने का समय नहीं था। दूसरी ओर, घोड़ेगाड़ी वालेने घोड़े की देखभाल करना शुरू कर दिया था। घोड़ा भी सोच रहा था कि मालिक को मुझ पर इतना प्यार क्यों आ रहा है। घोड़ेगाड़ी की मरम्मत शुरू हुई और उसे सजाया गया जैसे कि उनके पुराने दिन वापस आ गए हो। जिन लोगों के काम में व्यवसाय की कोई लागत नहीं थी, उन लोगों का सम्मान बढ़ गया था।
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इंद्र राजा ने बारे बार मेघको बुलाया और कहा, “मुझे यह खबर मिली है कि धरती पर पीने के पानी की मात्रा कम होती जा रही है। यह कैसे होता है, मैंने आपको बारिश और धमाकेदार बारिश करने का निर्देश दिया है, मैं आपका जवाब चाहता हूं।
“महाराज, हमे ने आपके निर्देशों के अनुसार पानी धरती पर बरसाया है, … लेकिन ….”
“लेकिन क्या?”
“महाराज धरती पर हम बहुत पानी बरसाते है मगर लोगोको इसकी कोई कीमत नहीं है। पानीका बहुत दुरुपयोग होता है। पानी बचानेकी बहुत कम योजनाए है, इसलिए अधिकांश पानी समुद्र में चला जाता है।महाराज, हमारे लिए बड़ी समस्या यह है कि हम अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बारिश नहीं कर सकते है।”
“एइसा कैसे हो सकता है मेरे दिए गए निर्देशमे कोंन दखलअंदाजी कर शकता है?”
“महाराज, पृथ्वी पर लोग प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकास में इतने अधिक चले गए हैं कि हमें मजबूर करते हैं ओर जहां हमें बारिश नहीं करनी हैं वहाँ बारिश करनी पड़ती है उदाहरण के लिए, रेगिस्तान वहां हमे बारिश नहीं करनी है, अब हमें पूरी मात्रा में पानी बरसाना पड़ता है। ओर एइसा अक्सर हमारे साथ होता है। हमें समझ नहीं आ रहा है की करे तो क्या करे। बोलो, महाराज इसमें हमारी कहाँ गलती हैं। ”
इंद्र राजा ने कहा, ” धरती पर जो चलता हैं वो चलने देते है। इंसान को जब समझ आएगी तब बहुत देर हो गई होगी। अभी धरतीके इंसान पानी की कीमत को नही समझते है। ”
हर कोई, भय और चिंतामें था, लेकिन आधुनिकता में इतना आगे चले गए है की अब वापिश लौटने के लिए कोई जगह नहीं है। ओर अब स्थिति ऐसी होगी गई है की पेट्रोल, मोबाइल, पानी के बिना चलने वाला नही है और उपयोग को कम भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जीवन इस पर निर्भर हो गया है और बिजली का बड़ा हिस्सा ऐआई रोबोट उपयोग करता है। हम प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो गए हैं। करे तो क्या करे, जो होगा देखा जाएगा, सबका होगा वो मेरा होगा, में क्यों अकेला इस बात पर विचार करू।
नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)