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महान सोच — लघु कथा — रश्मि मृदुलिका

‘हम दहेज के खिलाफ है हमें कुछ नहीं चाहिए’ राधे श्याम जी ने अपने समधी पुरूषोत्तम प्रसाद से सीना चौड़ा करते हुए कहा|
पुरूषोत्तम प्रसाद ने सिर झुकाये हुए बड़ी विनम्रता से अहसानमंद भाव से बोले’ आपके जैसी महान सोच सबकी हो जाए तो एक बाप को किस बात की चिंता’
राधे श्याम हंसते हुए बोले’ हमारे पांच सौ बरातियों की आवभगत में कमी न हो बस, हम इज़्ज़तदार लोग है किसी ने शिकायत कर दी तो हमारी नाक कट जायेगी, इस बात का ध्यान रहे,
अचानक पुरूषोत्तम प्रसाद के मुख पर चिंता की लकीरें खींच आयी,
हम दहेज के खिलाफ है हमें कुछ नहीं चाहिए,,सज्जन समधी के शब्द अभी तक पुरूषोत्तम प्रसाद के कानों में गुंज रहे थे,
रश्मि मृदुलिका