होली — अनामिका दुबे

होली का त्योहार मेरे बचपन की सबसे खुशनुमा यादों में से एक है। मेरे घर में होली की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती थी। मेरी माँ होली के लिए विशेष रूप से गुझिया, ठंडाई और अन्य व्यंजन बनाती थीं।
होली के दिन मेरे दोस्त और मैं सुबह से ही रंगों की तैयारी में जुट जाते थे। हम गुलाल, अबीर और अन्य रंगों से अपने चेहरे और कपड़े रंग लेते थे। फिर हम अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ होली खेलते थे।
होली का सबसे मजेदार हिस्सा था रंगों की लड़ाई। हम एक दूसरे पर रंग फेंकते थे और हंसते थे। यह एक ऐसा दिन था जब हमें अपनी चिंताओं और तनावों को भूलने का मौका मिलता था।
होली के बाद हम अपने घर में इकट्ठा होते थे और होली के व्यंजनों का आनंद लेते थे। मेरी माँ की बनाई गुझिया और ठंडाई का स्वाद मुझे आज भी याद है।
होली का त्योहार मेरे लिए एक ऐसा दिन है जो मुझे अपने बचपन की यादों को ताजा कर देता है। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपने प्रियजनों के साथ मिलकर खुशियों का आनंद लेते हैं और अपने जीवन को रंगीन बनाते हैं।
होली की यादें मुझे आज भी खुशी और उत्साह से भर देती हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो हमें अपने जीवन में रंग, खुशी और उत्साह लाने का मौका देता है।
अनामिका दूबे “निधि”