लघुकथा/ ऑनलाइन -रश्मि अग्रवाल

रीता की दो बेटियाँ बंगलूरू में नौकरी कर रही थी और वह स्वयं रांची में अकेले रहती थी ।पतिदेव का देहांत काफी पहले हो चुका था । बड़ी बेटी अपना मोबाइल रीता को दे गई थी ।इस पर रीता ने मोबाइल चलाना सीखा । रोज एक घंटा अंग्रेजी में वो टाइप करती थी । पहले अंग्रेजी में टाइप
करना सीखा ।फिर मैसेंजर पर मित्रों से लिख कर बात करने से उसकी लिखने की स्पीड बढ़ी । तभी उसे पता चला । इसमें कुछ ऑनलाइन एप ऐसे हैं जिन पर वह गाना गा कर रिकॉर्ड कर सकती है ।उसे गाना गाने का बहुत शौक था पर अब तक बिना म्यूजिक के ही गाती थी ।
उसने उस एप को डाउनलोड किया और उस पर अपने गाने की रिकॉर्डिंग की ।पहले तो गाना म्यूजिक के आगे – पीछे हो जाता था ।ताल सही नहीं बैठता था सुर भी कभी सही नहीं लगते थे। इसका यह कारण था ,बीस साल बाद उसने गीत गाना शुरू किया ।जिम्मेदारियों के बोझ तले ख्वाहिशें दब गई थीं । दो महीने अथक प्रयास करने के बाद उसे सफलता हासिल हुई ।उस समय वह बेंगलुरु में अपनी बेटियों के पास रहने गई थी ।जब बेटियाँ ऑफिस चली जाती थीं,तो वह घर का सारा काम करने के बाद लगातार 5 -6 घंटा गीत गा कर रिकॉर्डिंग करती थी ।2 महीने के प्रयास के बाद म्यूजिक के साथ उसका गाया गीत सुर – ताल बद्ध हो गया ।उसकी प्रतिभा निखरती गई ।लोगों में उसकी पहचान अच्छी गायिका के रूप में बन गई थी ।
एक दो एप से वो और जुड़ी ।आज रीता ऑनलाइन एक एप पर ढाई हजार गानों की रिकार्डिग कर चुकी है । गीत गाने की इच्छा जो बरसों से मन में दबी हुई थी ।आज #ऑनलाइन की वजह से ही पूरी हो पाई ।अब उसकी पहचान श्रेष्ठ गायिका के रूप में बन चुकी थी ।यह प्रसिद्धिऑनलाइन के माध्यम से ही उसको मिली ।
डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’