महिला दिवस पर काव्य संध्या: हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार के सौजन्य से हुआ भव्य आयोजन

नई दिल्ली, 08 मार्च 2025 – महिला दिवस के अवसर पर हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार के सौजन्य से एंजलिक मॉडर्न स्कूल, जवाहर पार्क (खानपुर) में एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रिजेंद्र दीप्ति गीता सोसायटी के चेयरमैन प्रदीप कुमार दुबे द्वारा किया गया, जबकि संयोजन की जिम्मेदारी मदन लाल राज ने निभाई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि संगम विहार के विधायक चंदन चौधरी और विशिष्ट अतिथि निगम पार्षद ममता यादव द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
ओजस्वी और हास्य कविताओं से सजी शाम
कार्यक्रम की शुरुआत कवि उपेंद्र पांडेय की ओजस्वी कविता से हुई, जिसमें देशभक्ति की भावना को जागृत किया गया—
“निगाहें झुकती सजदों में वहाँ सम्मान क्या होगा?
वतन पर जान लुटाने से बड़ा बलिदान क्या होगा?”
इसके बाद कवयित्री गार्गी कौशिक ने अपनी मधुर आवाज में गंगा पर एक सुंदर गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रसिद्ध व्यंग्यकार कवि मदन लाल राज ने अपनी चुटीली रचनाओं से लोगों को गुदगुदाया और सोचने पर मजबूर कर दिया—
“गिद्ध, नोंचने में सिद्ध, दूर-दूर तक प्रसिद्ध।
आजकल वह भी सोचने लगा है, उससे अच्छा तो आदमी नोंचने लगा है।”
स्थानीय कवि दास प्रेम ने नारी महिमा पर आधारित कविता प्रस्तुत की—
“नारी सृष्टि का आधार है, ये तो पाँच भूतों का सार है।”
साथ ही, उन्होंने अपनी मधुर आवाज में होली पर एक शानदार गीत भी गाया, जिससे माहौल और भी रंगीन हो गया।
कवयित्रियों की शानदार प्रस्तुति
कार्यक्रम का संचालन कर रहीं पूजा श्रीवास्तव ने अपनी प्रभावी वाणी में काव्य पाठ किया—
“रचो इतिहास नव, होगा क्या महूर्त अब,
सोच-सोचकर आप वक्त न गंवाइए।”
कवयित्री सीमा रंगा इंद्रा ने माँ की ममता को समर्पित कविता से भावनाओं का संचार किया—
“बार-बार है नमन तुझे मेरे भगवन, प्यारी माँ के आँचल का दिया उपहार है।”
इसके साथ ही, उन्होंने हास्य रचनाएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं को खूब हँसाया।
बेटियों की महिमा और हास्य-ओज काव्य का संगम
कवि अटल मुरादाबादी ने बेटियों के सम्मान में रचित अपनी भावपूर्ण कविता प्रस्तुत की—
“सबके घर की दुलारी हैं ये बेटियाँ, माँ-बाबा को प्यारी हैं ये बेटियाँ।”
साथ ही, उन्होंने हास्य और ओजपूर्ण कविताओं से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।
स्थानीय श्रोताओं की जबरदस्त सराहना
इस कवि सम्मेलन को क्षेत्रीय जनता ने खूब सराहा। लंबे समय बाद इस क्षेत्र में हुए ऐसे भव्य आयोजन ने न केवल साहित्यप्रेमियों को एक मंच प्रदान किया, बल्कि हिंदी काव्य जगत को भी समृद्ध किया।