रास्ते में जब बस ख़राब हो गई विधा,संस्मरण _ उर्मिला पांडेय

अभी तीन वर्ष पहले की बात है मैं अपनी आश्रम की सत्संगियों के साथ हमारे मोहल्ले के ही रामवीर चौहान की बस से मथुरा वृंदावन गोवर्धन परिक्रमा के लिए जा रही थी। सुबह-सुबह साढ़े पांच बजे करीब बस मैनपुरी रेलवे स्टेशन से मथुरा के लिए रवाना हुई।
घिरोर के थोड़े पीछे ही जहां पर घनी बस्ती भी नहीं थी।रोड पर बस एक मकान दिखाई दे रहा था वहीं बस के पीछे का पहिया निकलकर बहुत दूर जा गिरा। ड्राइवर ने गाड़ी रोकी लेकिन बस में और सवारियों को कोई भी नुकसान नहीं हुआ। सामने सड़क पर एक यादव जी का मकान था। सभी यात्री बस से उतर कर नीचे आ गए।
यादव जी के मकान के सामने खड़े हो गए एक दम सुबह-सुबह छः बजे इतनी आवाज हलचल सुनकर यादव जी घर से बाहर निकले।यादव जी ने सभी सवारियों को पानी पीने को दिया तथा बिस्कुट खिलाए। गाड़ी मालिक रामवीर चौहान बहुत संगीत प्रेमी थे बह ढोलक हारमोनियम, मंजीरा, झींका आदि सभी लाए थे यादव जी के दरवाजे पर बाहर फर्स बिछाकर गाने बजाने लगे। सभी ने ख़ूब मस्ती से गाया बजाया कोई कोई तो नाचने लगे झूमने लगे। इतना आनंद आया कि मैं बता नहीं सकती मानों बृंदावन तीर्थ गोवर्धन आदि सभी वहीं उपस्थित हो गये हों।
हम सभी गा रहे थे बजा रहे थे उसी समय वहां खेतों से एक काला सांप वहां आया और हमारे पास से हमें छूते हुए एक दम वहां पता नहीं कहां पर चला गया यह देखकर सभी लोग अचम्भित रह गये और उस सांप को देखने लगे सांप का कहीं अता-पता नहीं।
उस दिन वहां गाने बजाने में जो आनंद आया वह कभी नहीं आया था। सभी सांप की वज़ह से एक दम खड़े हो गये।बस करीब एक घंटे बाद सही हुई।तब रामवीर जी ने राधे-राधे कहते हुए बस में सभी सवारियों को बैठाया और हम सभी बृंदावन के लिए रवाना हुए। राधे राधे 🙏
उर्मिला पाण्डेय कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश