चलो बुलावा आया है — डॉक्टर मीरा कनौजिया काव्यांशी

बात उन दिनों की है जिस समय हम केंद्रीय विद्यालय के लिए जम्मू रीजन में इंटरव्यू देने गए थे, करीब सन 1995 की बात है।
हम गए थे और हमारे तीनों बच्चे और पतिदेव भी।
इंटरव्यू देने के बाद यह ध्यान आया कि माता वैष्णो देवी के दर्शन करना है।
फिर क्या था बच्चों ने कहा बहुत अच्छी बात है ,और हम अपने हस्बैंड के साथ जम्मू कटरा माता वैष्णो देवी के लिए चढ़ाइयां चढ़ने लगे।
अर्धकुमारी में जाकर के रुके, वहां बहुत भीड़ थी।
महीना बरसात का था जुलाई । जुलाई में बारिश बहुत होती है।
अचानक पहाड़ों पर बादल छा गए ।पहाड़ों पर तो बारिश वैसे ही ज्यादा अधिक होती है। फिर क्या था इतनी अतिवृष्टि हुई ओले गिरने लगे। वहां पर इतना तूफान जैसी हवाएं सरसराती हुई सनसनाती वायु चलने लगी। प्रचंड हवा के झोंके भीषण ठंड पड़ने लगी। हमारे बच्चे और हम सब कहां पर रहे थे और भीग गए थे वहां पर कंबल भी मिले थे लेकिन उनसे ठंड नहीं जा रही थी।
जैसे तैसे बहुत देर बाद पानी रुकने पर हम लोग अर्धकुमारी में प्रवेश करके फिर थोड़ी राहत मिली और फिर हम सब वैष्णो देवी मैया के मंदिर के लिए चढ़ाई चढ़ने लगे।
हमारे बच्चों को थोड़ी राहत मिली क्योंकि बच्चे छोटे थे हमारे और ठंड के कारण उनकी तबीयत खराब हो रही थी ।
लेकिन मां वैष्णो वाली की कृपा से सब ठीक हो गया प्रसाद लिया और हम लोग धीरे-धीरे माता के दरबार में पहुंच गए जहां की गाते, बजाते,नाचते, बहुत ही अच्छा लग रहा था।
जगह-जगह लंगर चल रहे थे हम लोगों ने वहां पर खाना खाया।
सभी भक्त अपने भक्ति में लीन थे और नाच रहे थे कोई पूजा कर रहा था कोई माता को दंडवत प्रणाम कर रहा था कहीं फूल बिक रहे थे, कहीं माला बिक रही थी। कहीं प्रसाद दिख रहा था कहीं भक्तों की टोलिया गाना गा रही थी।
हम लोगों ने माता के दर्शन किए और अच्छा लगा माता के दर्शन करके कृतार्थ हुए माता के जयकारे लगाते हुए हमने माता के भजन भी गाए। बच्चे बड़े खुश थे आमोद प्रमोद के साथ हम लोग फिर नीचे उतरने लगे, वहां पर झरने झज्जर करते हुए दिखाई दे रहे थे।
हमारे हस्बैंड और बच्चे भैरव जी के दर्शन के लिए चले गए, हम अधिक तक जाने के कारण भैरव जी के मंदिर नहीं गए।
वहां से आने के बाद हम सब लोग एक साथ मिले और हम लोगों ने वहां पर लंगर होता है ,नीचे बैठ करके खाना खाया और बहुत अच्छा लगा आनंदआया।
फिर हम लोग रिजर्वेशन था हमारी ट्रेन का। अपने बच्चों के साथ हम ट्रेन में बैठ गए रिजर्वेशन वाले डिब्बे में, और बातचीत करते हुए आनंद के साथ हम अपने घर कानपुर आ गए। प्रसाद लेकर के हम सब ने अपने पड़ोसियों को बांटा।
नवरात्रि आने पर माता वैष्णो जी के दर्शन की स्मृतियां पुन: लौट आई ,जो हम लोग पहाड़ों पर चढ़कर गए थे और वहां पर इतना आनंद आया, माता की कृपा से मेरा जम्मू रीजन में केंद्रीय विद्यालय में सिलेक्शन भी हो गया।
हमने माता को चरण वंदन करके दिल से धन्यवाद दिया और उनकी कृपा से ही सब कुछ जीवन में अच्छा हुआ माता हमेशा नवरात्रि में सब पर कृपा करती हैं।
आज फिर नवरात्रि का प्रथम दिवस से शैलपुत्री माता सब की रक्षा करें चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है।
डॉक्टर मीरा कनौजिया काव्यांशी
स्वरचित मौलिकसंस्मरण