कश्मीर ट्यूलिप गार्डन –डॉ मीरा कनौजिया

वाह अप्रतिम सौंदर्य, जन्नत, ट्यूलिप बगीचा, अति उत्कृष्ट।
बरबस आकर्षक, आकर्षण, खिंचाव मानव मन होता आकृष्ट।
प्रथम सौंदर्य डल झील, निकटवर्ती ट्यूलिप वाटिका सज्जित।
पराग मकरंद परिपूरित पुष्प आपूर्ति, रंगीन आभा उजासित।
कश्मीर की वादी ,डल झील तट, प्रकृति मनोहारीदृश्य प्रभा।
जन्नत का नजारा, पुष्प कतारबद्ध, प्रतिभाषित सूर्य आभा।
प्राकृतिक नजारा, माता वैष्णो छत्रछाया अलौकिक प्रभाव।
धर्म विवेध नीति नष्ट,समान एकता,सु्ष्ट समन्वय संमभाव।
पर्यटक, दृष्टिपात, विलोकत, अति रमणीक ,ट्यूलिप बाग।
अट नहीं रही, प्रकृति में शोभा श्री, स्वागत सिंदूर सुहाग।
रक्त वर्ण बरबस आकर्षित करता, चहुं चतुर्दिक दिग्विगंत।
अंग प्रत्यंग प्रकृति संपदा,आगत सर्वत्र धरा बगरयौ वसंत।
प्रकृति रूपी नायिका, रंगीन विविध रंग ओढ़नी ओढ़ कर।
सखियों संग नायिका ,अमंद पुष्प पराग मकरंद रस पीकर।
प्रति पुष्प डल झील जल प्रतिबिंबित मानो द्वितीय ट्यूलिप।
जीनत ए कश्मीर,गुल गुलनार,आबे ए चश्मे रंगेदिल मुनासिब।
डॉ मीरा कनौजिया