नवरात्रि में कन्या पूजन (लेख) — अमृत बिसारिया

2 वर्ष से 10 वर्ष तक की कन्याओं को नव दुर्गे का रूप माना जाता है इसी लिए नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। यह पूजन नवरात्रि के अष्टमी या नवमी तिथि को किया जाता है, जिसमें कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनका विधिपूर्वक पूजन किया जाता है।
हिंदू धर्म में वेद शास्त्रों में कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है। उन्हें आदरपूर्वक आमंत्रित कर उनके चरण धोए जाते हैं, तिलक लगाया जाता है और उन्हें यथा सामर्थ भोजन कराया जाता है और उपहार स्वरूप दक्षिणा दिए जाते हैं।
इससे न केवल देवी शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि समाज में कन्या सम्मान और नारी शक्ति की प्रतिष्ठा को भी बढ़ावा मिलता है और यह सम्मान केवल एक दिन का ही नहीं होना चाहिए, उन्हें शिक्षित और बुराइयों से लड़ने के योग्य बनाने की सीख भी, हमें माँ दुर्गे यह त्योहार देता है।
यह मान्यता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि व्रत का संकल्प अधूरा रहता है। इससे हमें नारी के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव विकसित करने की प्रेरणा देता है, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है और साथ ही साथ छोटे उम्र के लड़कों को भी आमंत्रित किया किया जाता है जिससे समाज में समरसता बनी रहे।
अमृत बिसारिया
दुबई