वह एक लड़की — रश्मि मृदुलिका

कभी जीवन में अकस्मात ऐसी घटनाएं हो जाती है| जो सामान्य दिखाई देती है किंतु हृदय पर गहरा असर कर जाती है|जिसका प्रभाव हमारे व्यवहार में, हमारी सोच में होने लगता है |एक ऐसी ही सामान्य सी दिखने वाली घटना मेरे जीवन में भी हुई थी|
बात उस समय कि है जब मैं स्कूल में पढ़ती थी|ठंड का मौसम था| रोज की तरह मैं स्कूल जाने की तैयारी कर रही थी, उस दिन सुबह से ही मौसम खराब हो रहा था| माँ ने कहा आज रहने दो, लेकिन मैं स्कूल की छुट्टी कभी नहीं करती थी, मैंने जाने की जिद्द की, छुट्टी तक बारिश और ओले गिरने लगे|सभी छात्र घर की ओर चल दिए| मेरा घर स्कूल से लगभग चार किलोमीटर दूर था| मेरे पास न तो छाता था, और न ही मेरे साथ कोई था| क्योंकि खराब मौसम के कारण हमारे गाँव के बच्चे स्कूल नहीं आये थे| आधे रास्ते तक मैं आराम से गई| लेकिन उसके बाद आंधी तेज होने लगी | रास्ता सुनसान था,अब मुझे डर लगने लगा था|
तभी मैने एक आवाज सुनी| मुड़ कर देखा एक लड़की मुझे रूकने को कह रही थी|वह लड़की मेरे ही स्कूल में पढ़ती थी| मैं रूक गई|उसने मुझे कहा ‘तुम तो भीग गई हो,, तुम्हें कहाँ तक जाना है |’ मैने उसे अपने गाँव का नाम बताया| उस लड़की ने मुझे अपना छाता दिया और कहा ‘ तुम भीग रही हो इसे ले लो|’ लेकिन तेज हवाओं के कारण छाता उलट गया| और मुझसे छूट गया| मैंने छाता फेंका,और दौड़ पड़ी| वो मुझे लगातार आवाज दे रही थी| लेकिन मैने पीछे मुड़ कर नहीं देखा| किसी तरह घर पंहुची तो माँ को दरवाजे पर परेशान इंतजार करते पाया| ठंड से मेरी हालत खराब थी| मुझे उस लड़की का ध्यान भी नहीं आया| थोड़ी देर बाद मैंने माँ को सारी बात बतायी| मेरी बात सुन माँ ने कहा ‘ बेटा तुमने उस बेचारी को अकेले क्यों छोड़ दिया, उसे अपने साथ घर ले आती| पता नहीं बेचारी कैसी होगी’
माँ की बात सुन मुझे अहसास हुआ कि मैंने उस लड़की को छोड़ दिया, जिसने मुझे अपना छाता दिया| मैं बाहर निकली रास्ते मैं दूर तक देखा| लेकिन वह मुझे दिखाई नहीं दी|
वह अपने घर पंहुच गई होगी| लेकिन किस तरह,, मुझे नहीं पता|
आज भी मेरा मन इस घटना से व्यथित हो जाता है उस समय बाल सुलभ समझ से मैं कुछ समझ नहीं पायी मेरे लिए ये सामान्य बात थी| लेकिन तब भी इतना समझ पायी थी कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था| इस घटना ने मेरे व्यवहार में यह परिवर्तन लाया कि अब मैं किसी को बीच रास्ते में नहीं छोड़ती| पूरी कोशिश करती हूँ कि जितना हो सकें मदद करूँ और साथ दे सकूँ|
रश्मि मृदुलिका