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बलिदान की परम्परा — महेन्द्र कुमार सिन्हा जय

 

भारत की मिट्टी बलिदानी मिट्टी है। माँ भारती के बेटों व बेटियों में बलिदान का जज्बा बहुत भरा हुआ है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1857 की क्रांति में गौ माता के माँस से ढके बम चलाने मना किया है। वो शहीद मंगल पांडे जी है। अंग्रेजों के खिलाफ सैनिकों में विद्रोह शुरू हो गया।इसी भारत में शहीद भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव तथा चंद्र शेखर आजाद बलिदान की परम्परा भिनाते अपनी जान भारत माता को समर्पित कर दिया।
आजादी की गाथा में बलिदानी परम्परा में सुभाष चन्द्र बोस को याद किये बिना बलिदान की परम्परा अधूरा है। ।
भारत 15 अगस्त 1947को आजाद हुआ।
आज तक भारत माता के वीर सपूतों ने भारत माता की रक्षा के लिए बलिदान की परम्परा का निर्वाहन करते है।
आज भी भारत के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर जवानों की कोई कमी नहीं है।

महेन्द्र कुमार सिन्हा जय महासमुंद छत्तीसगढ़

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