एक अनमोल दोस्ती — एन आर जांगु

एक छोटे से गाँव में, दो दोस्त रहते थे – रोहन और प्रिया। वे बचपन से ही एक दूसरे के साथ खेलते और पढ़ते थे। उनकी दोस्ती बहुत गहरी थी और वे एक दूसरे के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
एक दिन, रोहन को एक नई साइकिल मिली। वह बहुत खुश था और उसने प्रिया को अपनी साइकिल दिखाने के लिए बुलाया। प्रिया ने साइकिल देखी और उसकी खूबसूरती की तारीफ की। रोहन ने प्रिया को साइकिल चलाने की पेशकश की, लेकिन प्रिया ने मना कर दिया क्योंकि वह साइकिल चलाना नहीं जानती थी।
रोहन ने प्रिया को साइकिल चलाना सिखाने का फैसला किया। उन्होंने प्रिया को साइकिल चलाना सिखाया और जल्द ही प्रिया साइकिल चलाने में माहिर हो गई। रोहन और प्रिया ने साथ में कई सैर की और उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो गई।
एक दिन, प्रिया के पिता ने उसे एक नई साइकिल दिलाई। प्रिया ने रोहन को धन्यवाद दिया और कहा कि वह उसकी वजह से ही साइकिल चलाना सीख पाई। रोहन ने मुस्कराते हुए कहा कि दोस्ती में कोई उपकार नहीं होता, बस साथ रहना और एक दूसरे की मदद करना होता है।
*उनकी दोस्ती* एक अनमोल धरोहर थी जो उन्हें जीवन भर साथ देती रही। वे एक दूसरे के साथ खुशियों और दुखों को बांटते रहे और उनकी दोस्ती और भी मजबूत होती गई।
एन आर जांगु
राजस्थान भारत