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गृहिणी का संकल्प – दीपांजली शर्मा की कलम से

 

हाथों में हर पल हाथ रहे,
संग पिया तेरा साथ रहे।
कठिन-सहज जीवन के पथ में,
सदा प्रेम के बहते जल में॥

नवजीवन की हो शुरुआत,
सुधरें सब दोष दिन-रात।
नयनों में हो प्रेम-सुधा,
वाणी बोले मधु-रस गा॥

छोटों से अनुराग बढ़े,
बड़ों को सदा मान चढ़े।
गृह में हो मंगल-विहार,
वेद-पुराणों का आधार॥

तन निर्मल, मन पावन हो,
धर्म-नारी सेवा गुण हो।
कर्तव्य निभे निस्वार्थ भाव,
यही गृहिणी का हो स्वभाव॥

दीपांजली शर्मा बीसोखोर
कटहरी बाज़ार महराजगंज

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