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माँ___सरिता चौहान की कलम से 

 

मां की ममता में जहां की खुशियां हैं।
हम खुश और सलामत रहें यही मां की दुआ है।
मां तेरी सूरत में भगवान की मूरत दिखाई देती है।
हर लम्हों में मां हमें तुम्हारी दुआओं की जरूरत होती है।
कितनी भी शरारत करती थी मां कभी खफा नहीं होती।
लबों पर हो भी जो कुछ डांट फटकार पर हृदय में ममता भरी होती।
मां तेरी ममता की छांव में पाली बढ़ी अब बड़ी हो गई।
घुटनों के बल चलते-चलते जाने कब खुद के पांव पर खड़ी हो गई।
हर जन्म में मां तेरा ही आंचल तेरी ही गोद मिले।
मां मैं वही करूं तू जो कहे।
हर मुश्किल आसान होता है मां जब तू मेरे साथ होती है।
आखिर मां तो मां होती है।
मैं मीन तू सागर है मां।
तेरे बिना कहां जिंदगानी है मां।
मां बस तू है तू ही तो है, जो मुझे इस दुनिया में लाई है।
इस हंसी और रंगीन दुनिया को मैं भी देख सकी यह तेरी ही करिश्माई है।
जहां में तेरा साथ जरूर रहे मां।
तेरी लाडली तुझसे ना दूर रहे मां।।
कड़ी धूप हो जिंदगी तो तू घनी छांव है मां।
हमारे हर दर्द पर मरहम लगाने वाली होती है मां।
अंबर सा तेरा आंचल है मां।
तू ममता की गहरी सागर है मां।
हर समय जो हमारी सलामती के लिए दुआ मांगे ओ मां ही होती है।
हमारी गलतियों को भूलकर हमें हृदय से लगा ले ओ मां ही होती है।
न जाने तूने कितनी अथक परिश्रम और तपस्या से मेरे रूप को साकार किया।
जो तूने मुझे रूप रंग और आकार दिया।
एक पांव पर खड़ी रहकर तूने मेरी सफलता के लिए दिन रात एक कर दिए थे।
तूने ईश्वर की साधना कर मेरे लिए प्रण लिए थे।
मानो विधाता ने तुझे अपार शक्तियां दे रखी हों।
कि हमारी हर भूल को क्षमा कर हमें सन्मार्ग प्रशस्त करती रही।
अब मैं अपने रूप रंग और आकार में सरकार हो गई हूं मां।
ईश्वर तुम्हें सलामत रखे यही दुआ कर रही हूं मां। ।
मां ओ मेरी मां ।
तू ही मेरी दुनिया तू ही मेरी जहां।
बाकी रिश्ते तो तेरी गर्भ से बाहर आकर जुड़े हैं।
सब तेरी ही बुनियाद पर खड़े हैं।
वास्तविक रूप से मैं तेरी ही अमानत हूं।
तू जो कहे वही मैं करूं यही मेरी चाहत है।
मां ओ मेरी मां
तुझसे है यह सारा जहां।।
मेरी प्यारी मां।।
स्वरचित
डॉ सरिता चौहान
प्रवक्ता हिंदी पीएम श्री ए.डी. राजकीय कन्या इंटर कॉलेज
गोरखपुर

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