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मातृ दिवस २०२५: माँ के प्रति सम्मान और आभार का दिन –दीपक शर्मा (जांगिड) शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता

 

साधारणतया हर दिन माता के सम्मान का दिन है ,
मातृ दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी माताओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं। यह दिन हमें अपनी माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाता है और उनके प्रति हमारे प्यार और सम्मान को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
माँ की ममता की ख़ुशबू से महकता है हमारा परिवार।
*माता: जीवन की सबसे बड़ी शिक्षिका है ।
माँ एक मीठा एहसास है,मधुर संगीत है , माँ जीवन की मिठास है, ममता और प्रेम का भंडार है, माँ का प्यार सबसे ऊँचा है , माँ हमेशा अपने बच्चों के साथ रहती है, ईश्वर प्रेम और विश्वास की प्रतिकृति है ,माँ!
जब हम चार दिन ,4 महीने, चार वर्ष और जब 40 वर्ष के ,किसी भी पड़ाव में उसके स्नेह में कोई फ़र्क नहीं था।
” माँ दर्ज हैं हर पन्ने पर, मेरी हथेली और पेड़ पर”
इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ जब मैं मुट्ठी बंद करता हूँ तो पूरी दुनियाँ मेरी मुट्ठी में होती है ,क्योंकि मेरी हथेली में “माँ “लिखा होता है।
माँ शक्ति है जो अपने बच्चों के लिए भगवान से भी लड़ जाया करती है।
माता हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह हमें जन्म देती है, हमें पालती है, और हमें जीवन के मूल्यों और सिद्धांतों को सिखाती है। माता की ममता और प्यार हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है।
मातृ दिवस यह दिन हमें अपनी माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाता है और उनके प्रति हमारे प्यार और सम्मान को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

माताओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए हमें कई तरीके अपनाने होंगे। हम अपनी माताओं के लिए विशेष उपहार दे सकते हैं, उनके लिए खाना बना सकते हैं, और उनके साथ समय बिता सकते हैं। हम अपनी माताओं के प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करने के लिए पत्र लिख सकते हैं या उन्हें फोन कर सकते हैं। सर्वप्रथम हम उनकी श्रेष्ठ पुत्र ,पुत्री बन के एक संवेदनशील नागरिक होकर ,उनका आभार प्रकट कर सकते है जिस पर उन्हें गर्व है।
मातृ दिवस के अवसर पर आइए हम अपनी माताओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करें और उनके साथ अपने प्यार और संबंधों को मजबूत बनाएं। माँ की अभिव्यक्ति मैं अपने शब्दों से नहीं कर सकता ,मैंने जितना भी लिखा है उतना कम है मेरी माँ । आपके प्यार और बलिदान,त्याग को हम कभी नहीं भूला पाएंगे और तेरी ममता का कर्ज़ा है कभी नहीं चुका पाएंगे । मेरी माँ!
आपका बेटा
*दीपक शर्मा*(जांगिड)
शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता

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