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पहलगाम — डॉ सरिता चौहान

 

दिलों में अभी आज धड़क रही है,
चिंगारियां अभी ठंडी नहीं हुई।
पहलगाम की धरती अभी भी कुछ कह रही है।
मिटी हुई सिंदूर की शोला भभक रही है।
हुई जिनकी वजह से मानवता शर्मशार।
जाति धर्म पूछ कर मारा उसने,।
फिर क्या रही जाति का गौरवशाली इतिहास।
ढूंढ लो उन हत्यारों को व्योम से पाताल से।
मारकर फेंको उन्हें इतनी दूर,
जहां से हवा भी ना उड़ कर आ सके।
कभी दु।बारा जन्म लेने को सोचें तो उनकी रूह कांप जाए।
क्यों हवा में ले रहे हो ऐसे अपराधियों को।
इतना तड़पा कर मारो की तरसे वे फंदों को।
इसे राजनीति में मत बांटो सब एक होकर लड़ो।
सीजफायर की जगह सूट फायर कर दो।
मार डालो उन आतंकियों को धरा को पवन कर दो।
पहलगाम की धरती पुकार रही है सुनो वीर जवान।
चाहें जो भी हो आतंक का मिटा दो नामो निशान।
कारगिल हुआ, पुलवामा हुआ अब हुआ पहलगाम।
आतंकियों की बढ़ने लगी पहचान, वाले
आतंकिस्तानियों ने दे दिया आतंक को अंजाम।
अब मत कुछ सोचो ज्यादा इनको मिटा दो।
इस देश की धरा को पावन बना दो। इस देश की धरा को पावन बना दो।।
जय हिंद, जय भारत।
जय शहीद, जय वीर जवान।।
वंदे मातरम
वंदे मातरम
वंदे मातरम।।
डॉ सरिता चौहान (प्रवक्ता-हिंदी)पीएम श्री ए.डी.राजकीय कन्या इंटर कॉलेज
गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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