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सिंदूर केवल सुहाग का ही नहीं आस्था वीरता और शौर्य का प्रतीक भी है — उर्मिला मोरे

अभीसबसे चर्चित विषय जो है वह है ऑपरेशन सिंदूर जहां देखो इसकी चर्चा हो रही है इसकी गूंज भारत में ही नहीं पूरे विश्व भर में पहुंच गई है और हो भी क्यों न 26 अप्रैल को पहलगाम में नव विवाहित जोड़े अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने हनीमून मनाने आए थे उनमें पुरुषों का धर्म पूछ कर प्रमाण के लिए कपड़े उतरवा कर हिंदू होने पर उन्हें गोलियोसे मौत के घाट उतारा गया इतना घृणित कार्य जिसने भी सुना उसकी आत्मा कांप गई ।धन्य है हमारे मोदी जी जिनके नेतृत्व में तीनों सेना जल थल और वायु सेना को पूरा अधिकार देकर उनके द्वारा एक-एक आतंकवादी को चुन चुन कर मर गया और इतना ही नहीं उनके ठिकानों उनके परिजनों को भी नहीं छोड़ा गया ऐसा कर पाकिस्तान को अपने घुटनों के बल पर ला दिया इसे मोदी जी ने ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया उनके अनुसार जिस तरह उन्होंने हमारी बेटियों का सिंदूर पौछा तो हमने भी बदला लिया । ऐसा करने से गए हुए तो वापस नहीं आए पर उन बेटियों को कुछ सुकून तो मिला ।इस तरहभारत ने दिखा दिया जहां वह धर्म गुरु बनकर पूरे विश्व को आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ा सकता है वहीं अन्याय होने पर ,विश्वास घात होने पर दुश्मनों पर काल भैरव की तरह टूट भी सकता है।
‌‌ अब आते हैं सिंदूर की चर्चा पर ।सिंदूर सुहाग श्रृंगार का ही प्रतीक नहीं है शौर्य और आस्था का भी प्रतीक है प्राचीन ग्रंथो को देखें तो सती सावित्री ने अपनीआस्था, तेज‌ के बल पर यमराज के मुंह से अपने पति के प्राणों को वापस लायी।
रानी सती दादी जो अपने पति के साथ गौणा करवा कर डोली में बैठकर ससुराल जा रही थी अचानक आक्रमणकारीअपनी विशाल सेना के साथ प्रतिशोध लेने के लिए उनके पति तनधनदास पर टूट पड़े उनके पति ने वीरता के साथ मुकाबला किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए। दादी जो मात्र उस समय 12 बरस की थी अपने पति को ऐसा देखकर उनकी आंखें क्रोध से लाल हो गई अकेली वह रणचंडी बनकर पूरी विशाल सेना पर टूट पड़ी ‌सारे सैनिकों को मार गिराया ।अंत में अपने पति के साथ चिता पर बैठ कर सती हुई जिनका आज भी समय-समय पर घर-घर में मंगल पाठ होता है।
शौर्यतामें देखें तो रानी लक्ष्मीबाई किसी पहचान की मोहताज नहीं है जब उनके पति की मृत्यु हुई ,उस समय झांसी की स्थिति बहुत कमजोर थी अंग्रेज झांसी पर घात लगाकर बैठे थे उन्होंने ने आसपास के राज्यों से मदद की गुहार लगाई पर अंग्रेजों के डर से किसी ने भी सहायता नहीं की तब अकेली रानी ने अपनी सैन्य शक्ति बनाकर झांसी की रक्षा करने के लिए अंग्रेजों की सेनापर टूट पड़ी उन पर रंणचण्डी सवार थी अंग्रेजों के एक सेनापति जिनका नाम हृउरोज था उसने कहा पूरी सेना में मेरे को एक ही पुरुष दिखाई दिया वह थी रानी लक्ष्मीबाई। तो उन्होंने पति के मरने पर लोगों के कहने पर सती नहीं होकर अपने पति के अधूरे कार्य को पूरा कर झांसी की रक्षा कर इतिहास में अमर होगई।
इसी तरह रानी पद्मावती अपने पति के वीरगति को प्राप्त होने की खबर सुनकर और यह भी सुनकर अलाउद्दीन खिलजी उनके किले पर आक्रमण करने और नारियों कीअस्मिता से खिलवाड़ करने के लिए अपनी विशाल सेना के साथ आ रहा है तो रानी ने एक पल भी नहीं गवाकर नारियों के साथ जोहर कर अस्मिता की रक्षा की।
इस भावना ने हाल में ऑपरेशन सिंदूर को भी बलदिया जिसमें व्योमिका शर्मा और सोफिया कुरेशी जैसी बहादुर महिलाओं ने अपने साहस और संघर्ष से यह साबित कर दिया कि सिंदूर केवल श्रृंगार का ही नहीं बल्कि अदम्य साहस का प्रतीक है इनवीरांगनाओं ने अपने कर्तव्य का निर्वाह करसमाजकीरूढीवादीमानताओं को चुनौती दी है यह उन महिलाओं की आवाज है जो अन्याय के खिलाफ उठ खड़ी होती है अपने हक के लिए लडती है और समाज की बंधी बंधाई धारणाओं को तोड़ती है
‌ संक्षेप में कह सकते हैं या केवल एक परंपरा ही नहीं बल्कि एक संकल्प है खुद को परिभाषित करने का अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ने का ,अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का
यहउन वीरांगनाओं का प्रतीक है जिन्होंने इतिहास को अपने खून से लिखा और उन आधुनिक कार्यों का प्रतीक है की हर चुनौती को आत्मविश्वास से स्वीकार करें यह एक महाकाव्य है संघर्ष स्वाभिमान और शौर्य का प्रतीक है।

उर्मिला मोरे

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