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तंबाकू के विरुद्ध आमजन और शासन की हो साझा जिम्मेदारी – दीपक शर्मा , शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता

 

जयपुर – राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि समाज को स्वस्थ और स्वच्छ भविष्य की ओर ले जाने का संकल्प है। यह दिन तंबाकू जैसे जानलेवा पदार्थ के खिलाफ जागरूकता फैलाने और उसे जड़ से उखाड़ने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा ने इस अवसर पर अपनी कलम के माध्यम से स्पष्ट किया कि तंबाकू का सेवन न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह पूरे समाज पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। इससे कैंसर, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारियाँ और अनेक असाध्य रोग जन्म लेते हैं, जो व्यक्ति को मौत की ओर धीरे-धीरे धकेलते हैं। शर्मा के अनुसार, इस लड़ाई में आमजन की भूमिका सबसे अहम है। अगर हर नागरिक अपने परिवार, मित्रों और समुदाय को तंबाकू के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करे, तो एक बड़ा बदलाव संभव है। हमें अपने घरों और कार्यालयों को तंबाकू मुक्त घोषित कर वहां ऐसा वातावरण बनाना होगा जहाँ नशे को कोई स्थान न मिले। साथ ही तंबाकू के विज्ञापनों और प्रचार माध्यमों का विरोध भी आवश्यक है। सरकार की भूमिका भी उतनी ही निर्णायक है। दीपक शर्मा के अनुसार, तंबाकू पर अधिक कर लगाना, उसके विज्ञापन बंद करना, सार्वजनिक स्थलों पर सख्ती से रोक लगाना और तंबाकू छोड़ने हेतु परामर्श व पुनर्वास केंद्र स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों और कॉलेजों में भी विशेष जागरूकता अभियान चलाकर युवाओं को प्रारंभ से ही नशे के प्रति सतर्क करना आवश्यक है।
आगे कहा कि यदि आमजन और सरकार मिलकर कार्य करें, तो तंबाकू जैसी सामाजिक बुराई पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य की लड़ाई नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की भी परीक्षा है।
हर नागरिक का संकल्प, तंबाकू से मुक्ति का पथ! इस सोच को आत्मसात करते हुए दीपक शर्मा ने आह्वान किया कि सभी लोग मिलकर तंबाकू मुक्त भारत की दिशा में सार्थक कदम उठाएं।

लेखक: दीपक शर्मा – शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता

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