बेमेल शादियाँ — अलका गर्ग,गुरुग्राम

बेमेल शादियाँ तो आदिकाल से होती आईं हैं यह कोई नई बात नही है।कभी ग़रीबी,तो कभी मजबूरी ,
लाचारी,डर,असुरक्षा,रिवाज़ अनेकों कारण ज़िम्मेदार हैं बेमेल शादियों के लिए।
पुरुष की पत्नी के देहांत के बाद तुरंत ही दूसरी शादी की तैयारी शुरू हो जाती है।पुरुष की उम्र तो बढ़ चुकी है पर लड़की वही छोटी उम्र की रहेगी तो हुई ना बेमेल जोड़ी..।दूसरी ही क्यूँ तीसरी चौथी शादी में भी पुरुष की उम्र की कोई सीमा नही देखी जाती पर हाँ लड़की की उम्र अधिक नही होनी चाहिए।
बाल विवाह तो और अधिक बेमेल होते हैं।कभी लड़का बिगड़ा हुआ निकम्मा निकल जाता है तो कभी लड़की में कोई कमी रह जाती है ।इसका एक उदाहरण तो हमारे पड़ोस में ही था।वयस्क होने पर दुल्हन दूल्हे से आधा फ़िट लम्बी निकल गई।अब दूल्हे राजा हीन भावना के कारण उसको कहीं भी शादी ब्याह पार्टी उत्सव में साथ नहीं ले जाते तो झगड़े होने लगे।पुराने ख़्यालों के घरवालों के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी पर अच्छे पद पर कार्यरत पति के लिए बहुत बड़ी बात थी।
लड़कियों की असुरक्षा के डर से भी उन्हें बहुत ही बेमेल पैसे वाले बूढ़े की दूसरी तीसरी बीवी बना कर उसके साथ ब्याह दिया जाता था।
बिना दहेज लिए शादी करने वाले अय्याशी शराबी जुआरी के साथ शादी तो बहुत आम बात थी।
पता नहीं उस समय इतने धर्मभीरु और नियम क़ायदे मानने वाले लोग इन बेमेल शादियों के गुण कुंडली कैसे मिला लेते थे या फिर बिना मिलाए कैसे शादियाँ कर लेते थे..!
उस समय के मुक़ाबले आजकल बेमेल शादियाँ कम हो रही हैं और अगर बाद में बेमेल साबित हो रही हैं तो अपनी ही कमी से..पहले की तरह ज़बर्दस्ती की बेमेल शादियाँ नहीं हैं ये ख़ूब ठोक बजा कर,जाँच पड़ताल कर,साक्षात्कार ले कर,
गूगल पर छत्तीस गुण मिला कर कराई गई शादियाँ हैं जो बेमेल या असफल साबित हो रहीं हैं तो इसमें दोष किसको देंगे..?
पुराने जमाने वाली मजबूरियों में से एक भी आजकल नहीं है ना माँ बाप को और ना ही बच्चों को फिर क्या कारण है बेमेल साबित होने का..?
सिर्फ़ धैर्य सहनशक्ति की कमी,
अहंकार,हम किसी से कम नहीं की भावना और एक दूसरे के प्रति सम्मान की बहुत अधिक कमी ही शादियों को बेमेल होने का रूप दे रही है।
अलका गर्ग,गुरुग्राम