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हर हर महादेव के जयघोष से गूंजा डोम, शिव महापुराण कथा में अहंकार त्याग और शिव आराधना का संदेश

 

जयपुर, कांति चंद्र रोड बनी पार्क। श्री शिव महापुराण कथा समिति द्वारा आयोजित नव दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को भक्तिमय वातावरण में कथा का भावपूर्ण आयोजन हुआ। संत संतोष सागर महाराज ने व्यास पीठ से भक्तों को शिवलिंग, रुद्राक्ष और भस्म की महिमा का विस्तार से श्रवण कराया।

विशाल वाटरप्रूफ वातानुकूलित डोम में आयोजित इस कथा कार्यक्रम में शिव-पार्वती, नारद एवं भगवान विष्णु की आकर्षक झांकी सजाई गई, जिससे श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।

अहंकार का त्याग और शिव तत्व की महिमा

संतोष सागर महाराज ने भगवान शिव और नारद जी के प्रसंग के माध्यम से भक्ति, तप, धन और शक्ति जैसे साधनों में भी अहंकार न पालने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “भोजन, भजन और भार्या का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे भजन खंडित होता है और अहंकार जन्म लेता है।”

उन्होंने बताया कि नारद जी को जब अपने तप का गर्व हुआ और उन्होंने भगवान शिव से तुलना की, तब उनके भीतर अहंकार जागा। भगवान विष्णु ने उन्हें यह सिखाया कि बिना भगवद कृपा के इच्छाओं का अंत नहीं होता। एक कामना समाप्त होती है तो दूसरी जन्म लेती है। यही अहंकार अंततः बुद्धि भ्रष्ट कर देता है और व्यक्ति विनाश की ओर अग्रसर होता है।
संत संतोष सागर महाराज ने कहा कि “काम और क्रोध मनुष्य की शक्ति को क्षीण कर देते हैं।” उन्होंने नारद जी द्वारा जल में बंदर रूपी प्रतिबिंब देखने की कथा का उल्लेख कर इसे आत्मावलोकन का प्रतीक बताया। क्रोधवश नारद जी द्वारा भगवान विष्णु को श्राप देने की कथा ने श्रोताओं को क्रोध पर नियंत्रण का गहरा संदेश दिया।

शिव तत्व और आराधना का महत्व

संतोष सागर महाराज ने बताया कि पंचतत्व, सूर्य, चंद्रमा और आत्मा, सभी शिव के स्वरूप हैं। उन्होंने शिव के पंचमुख रूप और आठ मूर्तियों का स्मरण कराते हुए शिव तत्व को जीवन में उतारने का संदेश दिया।

ॐ नमः शिवाय” मंत्र के जप और रुद्राक्ष व भस्म धारण करने के लाभों का वर्णन करते हुए संतोष सागर महाराज ने कहा कि रुद्राक्ष धन्वंतरि स्वरूप है और इसका जल शरीर पर गिरने से कैलाश मानसरोवर स्नान के तुल्य पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन मांस-मदिरा सेवन करने वालों को यह धारण नहीं करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि “भोजन की थाली व्यक्ति के चिंतन और चरित्र का प्रतिबिंब होती है। जैसे भोजन, वैसा ही मन और जीवन बनता है।”

भक्तिमय भजन और शिवमय वातावरण
कथा के दौरान संस्कृत श्लोकों, मधुर हास्य युक्त प्रसंगों और भजनों की स्वर लहरियों से माहौल शिवमय हो गया। श्रद्धालुओं ने “हर हर महादेव”, “शंभू काशी विश्वनाथ गंगे” जैसे भजनों का संगान कर वातावरण को शिव भक्ति से ओतप्रोत कर दिया।

अंत में संतोष सागर महाराज ने कहा, “हम भगवान से क्या मांगते हैं, वह हमारे हित में है या नहीं, यह हम नहीं जानते। इसलिए भगवान से यही प्रार्थना करनी चाहिए – प्रभो, आप वही करें जो मेरे लिए हितकारी हो, क्योंकि मैं आपका दास हूं।”

समिति के महामंत्री अरुण खटोड़ ने बताया कि
शनिवार को दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक कथा में नारद चरित्र, सृष्टि वर्णन एवं धनपति कुबेर की कथा का विशद वर्णन किया जाएगा।
कथा प्रतिदिन 4 जुलाई तक दोपहर 2:00 से शाम 6:00 बजे तक आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रतिदिन विविध प्रसंगों एवं दिव्य प्रसारणों के माध्यम से शिव तत्व का बोध कराया जाएगा। समिति के महामंत्री अरुण खटोड़ ने बताया कि
कार्यक्रम की शुरुआत संत अमरनाथ महाराज, समिति अध्यक्ष पंडित सुरेश शास्त्री सोमकांत शर्मा , रवि प्रकाश सैनी और अन्य गणमान्यजनों द्वारा विधिवत पूजन और आरती से की गई।

 

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