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जीवन यात्रा — नीलम सोनी फॉर्म ब्यावर

 

हमारे जीवन का एक ही उद्देश्य होता है कि हम सफल रहे।
मगर ऐसा अक्सर हो नही पाता।
जिंदगी टूटती बिखरती रहती है हम समझ ही नही पाते है चाहे गृहस्थ जीवन हो या अन्य यात्रा हो ।
ना जाने क़्या पड़ाव है ये जिंदगी नही समझा पाती है।
हमारा अस्त्तित्व भी कभी – कभी कमजोर टहनी की तरहः टूटने लगता है।
अहंकार मुख्य भाव होता है।
हम चाहकर भी कुछ नही करते।
कितनी ही समस्याओं से हम जीवन यात्रा प्रारंभ करतहै हर समय जूझते रहते है।
फिर उनसे ही कुछ न कुछ सीखकर आगे बढ़ते रहते है।
हम कभी ये ही नही समझ पाते है कि हम जो कर रहे है किसके लिए कर रहे है।किसके लिए जी रहे है।
हमारे जीवन का उद्देश्य यही था या हम सीमित दायरे में सिमट कर रहना चाहते है।

कूप मेंढक की भांति

हम गलत है या सही हम खुद नही समझ पाते है ।
एक अहम निर्णय लेने में भी हम अपने आप से ही कतराते रहते है।

चाहे कितना भी दृढ़ संकल्प हम करे कि हमे प्रगर्ति के मार्ग में हमे कोई बाधा आए।

मगर हम फिर भी वही चलते रहते है।

यही तो हमारी जीवन यात्रा है शायद।
अपने आपको समेट लेना या आगे बढ़ जाना।
अवरुद्ध मार्ग को छोड़ कर.
नीलम सोनी फॉर्म ब्यावर

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