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योग और प्राणायाम — प्रतिमा पाठक

तन-मन का मिलन
योग की पहचान।
शांति की ओर बढ़े
छोड़ें सब गुमान।।
प्राणायाम की धारा
जीवन मे बहाये।
सासों की लय से
नई ऊर्जा पाये।।
वृक्षासन की स्थिरता
पर्वत की तरह।
ध्यान मुद्रा की गहराई
सागर की तरह।।
सूर्य नमस्कार को
हर सुबह करें।
सूरज की किरणों से
नई उमंग भरें।।
योग की तपस्या
ध्यान का बल।
अहंकार को मिटा दे
दिल से हर छल।।
योग साधना है
आत्मा का संगीत।
प्राणायाम है साधन
मन को मिले नवगीत।।
तनाव से मुक्ति है
योग का वरदान।
सुख और समृद्धि
इसका है अभियान।।
श्वास की लय में छुपा
जीवन का सार।
योग और प्राणायाम से
करें इसे स्वीकार।।
आओ मिलकर अपनाये
योग का हर रूप।
शांति और सुख से भर
जाये हमारा ये स्वरूप।।
प्रतिमा पाठक
दिल्ली