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योग दिवस पर काव्यस्थली साहित्यिक मंच की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ

 

21 जून को सम्पूर्ण विश्व “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मनाता है। यह दिवस न केवल शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की उस महान परंपरा का उत्सव भी है, जिसमें योग एक जीने की कला के रूप में विकसित हुआ है।
इस पावन अवसर पर काव्यस्थली साहित्यिक मंच की ओर से सभी सम्माननीय कवियों और कवयित्रियों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित की गईं। मंच की संस्थापिका डॉ. सुनीता शर्मा एवं मंच अध्यक्ष जे.पी. शर्मा ने योग दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि —
योग केवल व्यायाम नहीं, यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग है। यह शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर मानव को पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाता है।

डॉ. सुनीता शर्मा ने कहा कि जैसे कविता मन को शुद्ध करती है, वैसे ही योग शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। कविता और योग दोनों ही आत्मिक साधना के माध्यम हैं, जो मनुष्य को भीतर से उज्जवल और शांत बनाते हैं।
मंच अध्यक्ष जे.पी. शर्मा ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि आज की भागदौड़ और तनाव से भरी दुनिया में योग ही एक ऐसा माध्यम है जो न केवल तन को सुदृढ़ करता है बल्कि मन को भी संतुलन देता है। उन्होंने सभी साहित्यप्रेमियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में योग को नियमित रूप से अपनाएं और अपने रचनात्मक जीवन को भी ऊर्जा प्रदान करें।
काव्यस्थली मंच के रचनाकारों ने इस अवसर पर योग विषय पर कविताएँ भी लिखीं, जिनमें शरीर, मन और आत्मा के योग से जुड़ी भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई।
योग दिवस के अवसर पर यह संदेश सर्वत्र गूंजा —
“जहाँ शब्द योग से मिलते हैं, वहाँ जीवन संगीत बन जाता है।”

काव्यस्थली साहित्यिक मंच की ओर से पुनः सभी रचनाकारों को योग दिवस की मंगलकामनाएँ।
संस्थापिका डॉ सुनीता शर्मा
अध्यक्ष जे.पी. शर्मा
(अध्यक्ष, काव्यस्थली साहित्यिक मंच)

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