योग: स्वस्थ जीवन के लिए वरदान – जे पी शर्मा

योग भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य देन है, जो न केवल शरीर को स्वस्थ रखने का मार्ग दिखाता है, बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलन प्रदान करता है। आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में जब व्यक्ति तनाव, चिंता, अनियमित दिनचर्या और बीमारियों से घिरा हुआ है, तब योग एक चमत्कारी उपाय बनकर सामने आता है। यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है जो तन, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ने की शक्ति रखती है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति को पहचानता है। यह श्वास पर नियंत्रण, ध्यान, आसनों और अनुशासित जीवनशैली के माध्यम से संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है। नियमित रूप से योग करने से शारीरिक लचीलापन, मांसपेशियों की शक्ति और सहनशक्ति बढ़ती है। यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, पीठ दर्द, अनिद्रा जैसी अनेक बीमारियों के नियंत्रण में सहायक है। मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी योग अत्यंत प्रभावी है। ध्यान और प्राणायाम से तनाव दूर होता है, एकाग्रता में वृद्धि होती है, और मन को शांति मिलती है। यही कारण है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी योग को सहायक चिकित्सा पद्धति के रूप में स्वीकार कर चुका है।अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना भी इसी संदेश को विश्व तक पहुँचाने का एक माध्यम है कि योग कोई धर्म या जाति से जुड़ा हुआ विषय नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग है। “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का संदेश योग के माध्यम से ही साकार हो सकता।योग एक वरदान है, जो हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना सिखाता है। यह केवल स्वस्थ रहने का जरिया नहीं, बल्कि एक सकारात्मक, संतुलित और सुखद जीवन जीने की कुंजी है। हर व्यक्ति को इसे अपनाना चाहिए, ताकि शरीर और मन दोनों को स्वस्थ और सक्रिय रखा जा सके।
जे पी शर्मा / जर्नलिस्ट