आधुनिक युग में नारी का परिवर्तित विकृत रूप — पल्लवी राजू चौहान कांदिवली, मुंबई

समाज का कैसा रूप उभर कर सामने आ रहा है? आजकल इन नवयुवतियां ने मासूम युवकों के जीवन में ग्रहण लगा दिया है। प्यार मोहब्बत का ऐसा भूत चढ़ा है कि विवाहेत्तर संबंध को आगे बढ़ाने के लिए मासूम युवकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर बैठती है। पहले युवकों को धोखे बाज़ और दगा बाज़ कहा जाता था, लेकिन आज परिस्थिति इतनी बदल चुकी है कि इन लड़कियों पर से विश्वास उठता जा रहा है। आजकल अपने पति को कई औरतें मारकर ड्रम में डाल देती है तो कोई बॉय फ्रेंड का साथ लेकर पति की हत्या कर देती है। ये जितनी भी घटनाएँ हुई है उनके जो प्रेमी होते हैं उनकी न तो शक्ल सूरत अच्छी होती है और न ही उसकी की कोई हैसियत होती है। आगे भविष्य नवयुवकों के लिए चुनौती बन चुका है। सोनम जैसी लड़कियों ने इस समाज में इतनी गंदगी फैला दी है कि घृणा के भाव उभरने लगे हैं। कैसे संस्कार आजकल बच्चों को दिए जा रहे है, अपने जीवन का निर्णय भी ये ढंग से नहीं ले पाती हैं। इन्हें छछूंदर ही पसंद है तो उन्हीं से शादी कर देना चाहिए। ये माता पिता अपनी बेटियों को कैसा संस्कार दे रहे हैं। उन्हें अपनी बेटियों की शादी करने से पहले उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की पूरी जानकारी ले लेना चाहिए। ज़बरदस्ती किसी के जीवन को खराब करने की क्या आवश्यकता है।
अपने बच्चों की जिंदगी को सुरक्षित रखने के लिए शादी ब्याह से संबंधित कोई भी निर्णय लें तो सोच समझकर लें। चाहे लड़की हो या लड़का उनकी शादी सोच समझकर करें। वरना उनकी जिंदगी नरक बन जाएगी। आजकल वीभत्स प्रवृत्तियां बहुत उजागर हो रही है। इस खूबसूरत जीवन को खूबसूरत तरीके से जीने की कला बच्चों को सिखाएं। आजकल स्त्रियों के कैसे कैसे रूप उभरकर सामने आ रहे हैं। कोई देशद्रोही के मामले में फंस रही है, तो कोई विवाहेत्तर संबंध के लिए अपने नवविवाहित जीवन को नरक बना रही है। यह तथ्य और विचार कहाँ तक सही है इस पर विचार विमर्श होना अति आवश्यक है।
धन्यवाद
लेखिका: पल्लवी राजू चौहान
कांदिवली, मुंबई