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अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस (३ जुलाई २०२५) प्लास्टिक ना बाबा ना – शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा

 

हर वर्ष ३ जुलाई को अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस मनाते है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य आम जनता को प्लास्टिक बैग्स के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और इनके विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करना है। प्लास्टिक बैग्स का अत्यधिक उपयोग न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य, पशु-पक्षियों और समुद्री जीवन के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है।
प्लास्टिक बैग्स बायोडीग्रेडेबल नहीं होते हैं। यानी ये प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं होते और सैकड़ों वर्षों तक मिट्टी, जल और वायु को प्रदूषित करते रहते हैं। इनके कारण जल स्रोत दूषित होते हैं।
भूमिगत जल स्तर प्रभावित होता है।
समुद्री जीव, जैसे मछलियाँ, कछुए, आदि प्लास्टिक निगलकर मर जाते हैं।
पशु, विशेषकर गाय और अन्य मवेशी प्लास्टिक खाकर बीमार हो जाते हैं। मानव स्वास्थ्य पर भी इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है – जैसे माइक्रोप्लास्टिक हमारे भोजन और पीने के पानी में मिल जाते हैं,
प्लास्टिक बैग्स के निर्माण में पेट्रोलियम आधारित कच्चे तेल का प्रयोग होता है। यह एक सीमित संसाधन है और इसके उपयोग से अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है।
कपड़े या बायोडीग्रेडेबल बैग्स का उपयोग करें।
प्लास्टिक की जगह अगर हम कपड़े, जूट, कागज, या बायोडीग्रेडेबल सामग्री से बने बैग्स का इस्तेमाल करें, तो यह पर्यावरण के लिए कहीं अधिक सुरक्षित है। इन विकल्पों के लाभ:
पुनः उपयोग किया जा सकता है (Reusable)
प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाते हैं
स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं
स्थानीय थानीय कारीगरों और उद्योगों को बढ़ावा मिलता है
सरकारों द्वारा कई जगहों पर प्लास्टिक बैग्स पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हर नागरिक इस प्रयास में भागीदार बने। हमें:
खुद प्लास्टिक बैग का प्रयोग बंद करना होगा
दूसरों को इसके दुष्प्रभाव समझाने होंगे
जागरूकता अभियान में हिस्सा लेना होगा
स्कूल, कॉलेज, और संस्थानों में वर्कशॉप्स करनी होंग

अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है, बल्कि यह हमें यह याद दिलाने का माध्यम है कि प्लास्टिक से मुक्त भविष्य की दिशा में हमें गंभीरता से काम करना होगा। हम सभी का यह सामूहिक उत्तरदायित्व है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और स्वच्छ पृथ्वी मिल सके।

“आज नहीं तो कब?
प्लास्टिक को कहें अलविदा,
प्रकृति को दें नई दिशा।”
क़लम से -शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा

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