देवशयनी एकादशी पर गोविंद देवजी मंदिर सहित समस्त वैष्णव मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का सागर
दो लाख श्रद्धालुओं ने किए ठाकुरजी के दर्शन, 11 घंटे खुले रहे मंदिर के पट, दर्शन व्यवस्था रही सराहनीय

जयपुर, 6 जुलाई। छोटी काशी जयपुर में रविवार को देवशयनी एकादशी के पावन पर्व पर श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। शहर के प्रमुख वैष्णव मंदिरों, विशेष रूप से गोविंद देवजी मंदिर में, दिनभर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती रही। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर पूजा-अर्चना की, भगवान विष्णु को शयन के लिए विदा किया और दान-पुण्य के कार्यों में भाग लिया।
चार माह तक चलने वाले चातुर्मास की शुरुआत के साथ ही भगवान श्रीहरि विष्णु ने क्षीरसागर में योगनिद्रा में प्रवेश कर लिया है, और सृष्टि संचालन का दायित्व भगवान शिव को सौंपा गया। यह पर्व वैष्णव परंपरा में विशेष महत्त्व रखता है और पूरे देश में विशेष रूप से मनाया जाता है।
गोविंद देवजी मंदिर में विशेष आयोजन
देवशयनी एकादशी के अवसर पर गोविंद देवजी मंदिर में परंपरागत रीति से भक्ति और उल्लास से पर्व मनाया गया।
प्रातः काल ठाकुर श्री गोविंद देवजी का वेद मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके पश्चात उन्हें नवीन लाल रंग की नटवर पोशाक धारण करवाई गई। ठाकुरजी का रत्नजड़ित आभूषणों एवं पुष्पों से भव्य श्रृंगार कर उन्हें रथ पर विराजित कर तुलसी मंच तक ले जाया गया, जहाँ मंदिर के महंत आचार्य अंजन कुमार गोस्वामी ने विधिवत पूजन, तुलसी सेवा, भोग अर्पण, चार परिक्रमा एवं महाआरती संपन्न कराई।
बाद में ठाकुरजी को पारंपरिक रूप से खाट पर विराजमान कर निज मंदिर की परिक्रमा कराते हुए गर्भगृह में विश्राम हेतु विराजित किया गया।
श्रद्धालुओं को मिले 2 मिनट से अधिक दर्शन
श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने इस वर्ष झांकियों के समय में विस्तार किया।
सुबह मंगला झांकी से लेकर रात की शयन झांकी तक मंदिर के पट लगभग 11 घंटे खुले रहे। हर दर्शन के बीच मात्र 15 मिनट के पट मंगल (अंतराल) के कारण दर्शन में व्यवधान नहीं हुआ। श्रद्धालुओं को औसतन 2 मिनट से अधिक समय तक ठाकुरजी के दर्शन प्राप्त हुए।
प्रशासनिक व्यवस्था रही अनुकरणीय
रविवार को करीब दो लाख श्रद्धालु गोविंद देवजी मंदिर पहुंचे। इतनी बड़ी संख्या को सुव्यवस्थित ढंग से संभालने हेतु डीसीपी राशि डोगरा स्वयं सुबह मंगला झांकी के समय पुलिस अधिकारियों के साथ पहुंचीं और दर्शन व्यवस्था का जायजा लिया।
पूरे दिन मंदिर परिसर एवं आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिस बल, होमगार्ड एवं स्वयंसेवकों ने व्यवस्था संभाली।
इस वर्ष लोहे की बैरिकेडिंग की जगह कपड़े की बैरिकेडिंग की गई जिससे वातावरण खुला और सहज बना रहा। श्रद्धालुओं के ठहरने की मनाही ने दर्शन प्रक्रिया को तीव्र और सुविधाजनक बनाया, जिसका असर यह रहा कि मंदिर के बाहर कोई यातायात जाम नहीं हुआ। जलेब चौक और गुरुद्वारे के पास की पार्किंग व्यवस्था भी सुचारु रही।
भक्ति और कीर्तन का वातावरण
मंदिर परिसर में दिनभर कीर्तन, सत्संग और भजन मंडलियों का आयोजन होता रहा। सत्संग भवन में श्रद्धालु कीर्तन में लीन रहे। मंदिर के स्वयंसेवकों ने पुलिस के साथ मिलकर दर्शनार्थियों की सेवा की।
दिनभर आसमान में बादल छाए रहने के कारण मौसम सुहावना बना रहा, जिससे श्रद्धालुओं को अत्यधिक गर्मी व असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।