कहानी – नन्हा मेहमान (सत्य घटना पर आधारित)

एक दिन सुबह दरवाजे की घंटी बजती है! कौन आया है?? बाहर देखो तो , मैंने बेटे को आवाज़ लगाई! बाहर मेन गेट पर कोई हरी टोकरी लिए खड़ा था , पहचानते ही बेटे ने गेट खोल दिया ! औपचारिक बातचीत करते हुए अंदर आने के लिए बोला “आइए अंदर आइए! भीतर आकर सोफ़ा पर बैठते हुए राज ने कहा सरप्राइज गिफ्ट है आप सबके लिए! इतना कहकर हरी टोकरी की तरफ इशारा किया! जो उन्होंने टेबल पर रख दिए थे !
हम-सब कौतूहल से उस छोटी सी टोकरी को देखने लगे जो उपर ढक्कन से बंद थी !
हरी प्लास्टिक की छोटी सी टोकरी का ढक्कन जैसे ही खोला गया हम सभी खुशी से उछल पड़े उसमें रूई से भी मुलायम एक छोटा सा पार्शियन बिल्ली का बच्चा था! सफेद बालों वाला इतना सुंदर!!हम देखते ही रह गये ! उसे सभी ने बारी-बारी से गोद में उठा लिया!
नन्हा मेहमान आने से हम बहुत खुश हुए !
ये अलग प्रकार की बिल्लियों की प्रजाति होती है इनका खान-पान देखभाल सब अलग तरीके से खास होता है उसके बारे में जानकारी देते हुए राज चला गया!
रह गए हम और प्यारा नन्हा मेहमान! जल्दी ही छोटा-सा पफी (प्यार से रखा नाम) हमसे घुल-मिल गया! मेरे तो आगे पीछे ही करता रहता था पता नही कैसे जान गया कि यही मम्मी है !
अब मुहल्ले के सभी बच्चे पफी से मिलने आते ! वो भी खुश हो कर अपनी पूँछ सीधी कर करते हुए मटक मटक कर चलता !
बाहर दीवार पर बिठाते तो आते जाते लोगों को देखकर बहुत खुश होता !
धीरे-धीरे पफी कुछ बड़ा हुआ लोग देखते तो देखते रह जाते उसके सफेद बाल लंबे लंबे बहुत सुंदर दिखते थे !
पालतू होने की वजह से वह अन्य बिल्लियों के जैसे चालक नहीं था बहुत ही भोला और मासूम था ।
एक दिन पफी घर से निकल गया दोपहर तक नहीं आया पता नहीं कहाँ चला गया हम सब चिंता से इधर-उधर ढूंढते फिर रहे थे मोहल्ले में सभी से पूछ रहे थे !सभी लोग पफी को जानते थे , तभी एक बच्चे ने बताया इधर जाते देखा है, सुनते ही हम उधर ही दौड़ पड़े! कुछ दूर जाकर सबसे पूछे पता चला पास वाले घर में है , उन लोगों ने उसे अपने घर में रखा है ! हमारे वहांँ जाने पर पफी हमें उनके मेज के नीचे बैठा दिखाई दिया!
उनको बोला भी आपने हमें क्यों नही जानकारी दी उन्होंने कहा बच्चे खेल रहे थे इसलिए हमने थोड़ी देर यहीं रख लिया था!
वो था ही ऐसा सबको मोहित कर देता था ! घर आने पर पतिदेव ने उसे डाँट लगाया पफी को सब समझ आ रहा था , कि नाराज हैं सभी ! वो चुपचाप आकर बैठ गया ! कुछ देर बाद हमारे आगे पीछे करने लगा , ताकि हम मान जाएं!उसकी मासूमियत मन को बहुत भाती थी!
घर में रौनक उससे थी जो देखो वही पफी पफी करता रहता!
एक दिन पफी बहुत बीमार हो गया ! उसे दिखाने डॉक्टर के पास ले गए ! डॉक्टर ने ऑपरेशन बताया और बोला कि शायद ही बचे ! सुनकर हम सभी चिंतित हो गए ! मगर कोई उपाय भी नहीं था ! उसे अच्छे अस्पताल में एडमिट कराया ! उसका ऑपरेशन हुआ ! ऑपरेशन के बाद पफी को देखना बहुत मुश्किल था ! उसका दर्द उसकी तकलीफ देखी नहीं जा रही थी ! हर समय उछल कूद करने वाला आज किस तरह पड़ा हुआ है ! हम बार-बार उसे देखते संभालते !
एक रात वो नन्हा मेहमान हमें छोड़ कर हमेशा के लिए भगवान के पास चला गया और दे गया हमेशा के लिए अपनी यादें!
उसे दफनाने ले जाते समय हम बहुत रोए ! उसके खेलने का सामान, खाने का पैकेट, उसके बिस्तर, ओढ़ने के कंबल सब उसके साथ ही ले गये उसे अश्रु पूर्ण नम आंखों से मेरे पति और बेटे ने अंतिम विदाई दी!
आज भी यह कहानी लिखते वक्त मुझे पफी की बहुत याद आई वो क्षण, वो दृश्य मेरे सामने से गुजरा और रो पड़ी!
उसके बाद किसी जानवर को पालने की हिम्मत नहीं हुई !
इस कहानी के माध्यम से मैं ” नन्हे पफी” को शब्दों की भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूंँ ।
ललिता भोला “सखि ”
जयपुर राजस्थान