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लाक्षागृह — कविता साव

लाक्षागृह — कविता साव

लाक्षागृह एक ऐसा घर जो लाख का बना होता है और जिसमें आग बड़ी तेजी से फैलता है।ऐसे लाक्षागृह का वर्णन महाभारत काल में मिलता है।
वास्तव में दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षडयंत्र
रची थी जिसमें उन्हें सहजता पूर्वक मृत्यु के घाट उतारा जा सकता था। लाक्षागृह तैयार हो जाने के बाद दुर्योधन
ने बड़े सम्मान के साथ पांडवों को रहने के लिया आमंत्रित
करता है,जिसे दासी पुत्र विदुर भांप लेता है।
लाक्षागृह को प्रस्थान करने से पूर्व विदुर ने पांडवों से
एक प्रश्न पूछा__जंगल की आग से चूहे अपना प्राण कैसे
बचाते हैं?युधिष्ठिर ने जवाब दिया_बिल (सुरंग) में प्रवेश
करके।विदुर जवाब सुनकर प्रसन्न हुए।
पांडव अपनी माता कुंती और कुलवधु द्रौपदी के साथ लाक्षागृह में पहुंचे।मध्यरात्रि होते ही दुर्योधन ने लाक्षागृह में आग लगाई,परन्तु पांडव सपरिवार सुरंग के रास्ते महल से सकुशल बाहर निकल आए।

कविता साव

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