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लघु कथा – बीरबल की खिचड़ी,- डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’

 

नेहा पढ़ाई में बहुत होनहार थी पर घर गृहस्थी के कामों में उसका मन नहीं लगता था । वह किचन में काम करने नहीं, बस खाने जाती थी । उसकी माँ ने उसे बहुत समझाया कि बेटा कुछ काम करना सीख लो । ससुराल जाओगी तो बहुत परेशानी होगी ।घर का काम करना हर लड़की को आना चाहिए,पर उसको तो हर बात का जवाब देना आता था बोलती, मम्मी! चिंता क्यों करती हो ?शादी के बाद मैं कुक रख लूँगी ।उसे चाय तक बनाने नहीं आता था । बस पढ़ना और मौज करना यही काम था उसका । पढ़ -लिख कर एक
अच्छी कंपनी में उसको नौकरी भी मिल गई थी ।माता-पिता ने उसकी शादी एक अच्छे घर में पढ़े-लिखे लड़के के साथ कर दिया ।दामाद एक प्रतिष्ठित कंपनी में मैनेजर पोस्ट पर कार्यरत था ।
जब नेहा ससुराल गई ।एक-दो दिन तो उसका बहुत सत्कार हुआ । फिर सबने कहा, आज बहू से चाय बनवाते हैं । सास ने नेहा से कहा, जाओ बेटा चाय बना कर ले आओ । साथ ही अपनी बेटी स्मिता को नेहा के साथ भेजा कि जा कर नेहा को सब सामान बता दो कहाँ-कहाँ सामान रखा है । स्मिता नेहा को सब बता कर वापस सबके साथ आ कर बैठ गई । नेहा ने तो अपने घर पर कभी चाय बनाया ही नहीं था । वह किचन में गई और उसने सॉसपेन में पानी चढ़ा दिया। कितना दूध कितनी चीनी और कितनी चाय की पत्ती डालना है यह उसे ज्ञात नहीं था ।वह बस खौलते हुए पानी को देख रही थी ।काफी देर हो गई तो लोगों ने कहा, चाय नहीं, ये तो #बीरबल_की_खिचड़ी पक रही है ।इतनी देर हो गई और चाय अभी तक नहीं बनी ? सास ने अपनी बेटी स्मिता से कहा, जा कर देखो क्या बात है ? नेहा की ननद स्मिता जब किचन में गई तो देखा नेहा चुपचाप खड़ी है और पानी खौल रहा है ।वह समझ गई । नेहा ने कहा दीदी ! मुझे चाय बनाने नहीं आती । मैंने अपने घर में कभी चाय नहीं बनाया । स्मिता बोली,भाभी ! आप घबड़ाइए मत , मैं चाय बना देती हूँ। स्मिता ने तुरन्त चाय बनाई जल्दी से उसने पकोड़े तले और ट्रे में रख कर नेहा को पकड़ा दिया और बोली जा कर सबको दे आइये ।नेहा ट्रे ले कर सबके पास आई । सास ने कहा – चाय नहीं क्या बीरबल की खिचड़ी तुम पका रही थी, चलो कोई बात नहीं चाय तो आई और साथ में तुमने पकौड़ी भी बना दिए , बहुत अच्छा किया बेटा ।फिर सबने चाय – पकौड़े स्वाद ले – ले कर खाए और नेहा की तारीफ की ।नेहा किचन में आई और स्मिता को उसने गले लगा लिया और बोली, दीदी ! आज से आप मुझे खाना बनाना सिखाइएगा । मुझे घर का काम बिल्कुल नहीं आता , पर अब मैं हर काम करना
सीखूँगी । आज नेहा अपने घर को अच्छे से सँभाल रही है ।साथ ही अपनी बेटी को गृह कार्य में दक्ष कर रही है ।वह नहीं चाहती कि उसकी बेटी को भी उसके जैसा शर्मिंदा होना पड़े ।

डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’

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