Uncategorized

बदलते समय में अभिभावकों के कर्तव्य और पीढ़ी के अंतर पाटने की ओर उनके सार्थक कदम — सुरेशचन्द्र जोशी

 

प्रत्येक पीढ़ी के विचारों में अंतर होना स्वाभाविक है। अलग-अलग समय और अलग-अलग परिस्थितियों में पैदा व बड़े होने के कारण उनके विचारों में निश्चित रूप से अंतर होता है। विभिन्न परिस्थितियों में बड़े होने के कारण ही उनके मूल्य दृष्टिकोण और व्यवहार में भी अंतर आता है।
जहां पुरानी पीढ़ी परंपराओं और स्थापित मान्यताओं का अनुसरण करती है वही नई पीढ़ी इसके विपरीत अधिक खुले विचारों वाली और परिवर्तन वाली होती है। इसका अर्थ यह है की पुरानी पीढ़ी परिवर्तनों का स्वागत उतने खुले रूप में नहीं करती जितना कि नई पीढ़ी। इसे हम अपने दिन प्रतिदिन के दैनिक जीवन में रहन-सहन एवं खानपान में आसानी से अनुभव कर सकते हैं।
उदाहरणस्वरूप हम अपने बड़े भाई के कपड़े और उनकी किताबों का प्रयोग भी करते थे जबकि आज ऐसा नहीं है। इसी प्रकार हम लोगों के समय में घर पर जो खाना बना करता था सब मिल बांटकर उसे खाया करते थे जबकि आज बच्चों की अभिरुचि का विशेष ध्यान रखा जाता है।
नई पीढ़ी तकनीकी प्रगति को सरलता के साथ स्वीकार कर लेती है। अपनी स्वतंत्रता को महत्व देती है तथा अपने जीवन के फैसले स्वयं लेने पर विश्वास करती है। इसके विपरीत पुरानी पीढ़ी स्थापित परंपराओं व मान्यताओं पर विश्वास करती है, सामाजिक व्यवस्था एवं स्थापित मूल्यों को बनाए रखने में विश्वास करती है और जोखिम लेने से बचती है।
इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। हमारे समय में भविष्य में हमें क्या पढ़ाई करनी है या किस क्षेत्र में हमें आगे जाना है इसके निर्णय हेतु हम अभिभावक मुख्य रूप से पिता के द्वारा दी गई राय का अनुसरण किया करते थे। जबकि आज की पीढ़ी के बच्चे उन्हें किस क्षेत्र में आगे जाना है इसका निर्णय स्वयं करते हैं।
जब दोनों ही पीढ़ियों के विचार में अंतर होगा तो उन्हें टकराव भी अवश्यंभावी है।
वर्तमान समय में अभिभावकों के बहुत महत्वपूर्ण कर्तव्य है उनमें से एक मुख्य कर्तव्य है पीढ़ी के अंतर को पाटना। इसके लिए अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ समय बिताकर उनसे संवाद स्थापित करके उनको समझाना आवश्यक है। इसके अलावा, उन्हें अपने बच्चों को स्वतंत्र रूप से सोचने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। साथ ही साथ उन्हें अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन भी देना चाहिए।
अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति सकारात्मक रुख रखना होगा और उनकी त्रुटियों को माफ करना सीखने के साथ उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
दोनों पीढ़ियों के बीच अंतर को पाटने के लिए:
– एक दूसरे के साथ खुलकर संवाद करना होगा। किसी भी कार्य के पक्ष एवं विपक्ष के बारे में बातें करनी होगी,
– एक दूसरे की बातों को ध्यान से सुनना होगा तथा उन पर मनन भी करना होगा,
– एक दूसरे की भावनाओं को समझना होगा,
– साथ में समय बिताकर मनोविनोद भी करना होगा, जिससे की हंसी मजाक के मध्य बच्चों की भावनाओं को समझना आसान होगा
– अपने विचार और अनुभव एक दूसरे से साझा करने होंगे। उनके लाभ एवं हानि के विषय में बात करनी होगी, तथा
– कुछ विषयों पर समझौता करने के लिए भी तैयार रहना होगा।
किसी अभिभावक द्वारा उठाए गए उपरोक्त कदम पीढ़ी के अंतर को कम करने और एक परिवार को मजबूत एवं खुशहाल बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।

सुरेशचन्द्र जोशी उत्तराखंड पिथौरागढ़।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!