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बेशक सुरज तुम इस राह पर यूं ही आगे बढ़ते रहना बस यूं ही चमकते रहना हैं बस यूं ही महकते रहना हैं

 

डॉ.भैरु सिंह राठौड़
(संपादक)
नज़र इंडिया 24

1.ओ सुन कानून वतन के रखवाले
कानून की राह पर बढ़ते जाना हैं
कर ना सके जो ओर कोई
तुझे वो करके दिखलाना हैं।।
2- माता पिता ने सुरज रखा हैं नाम तेरा
अपने कर्त्तव्य पथ पे बढ़ते जाना हैं।
अग्नि की तपिश हो गहरी कितनी
फर्ज की खुशबू बिखेरते जाना हैं।।
3.मंजिल भले ही दूर हो मगर
मंजिल तक तुझे जाना हैं।
तपती गर्मी में भी ठान ले फर्ज तुझे निभाना हैं।।
4.चंद्रमा सी तपिश, सुरज सी अगन
कर्म की लालिमा प्यारी हैं।
कानून की डगर पे कितने हो कांटे मगर
फिर भी कानून से रखना तु यारी हैं।।
5.निर्भीक, निडर, निष्पक्ष तुझे
पापा की राह पर चलना हैं।
हैं कैसे प्रकाशमान सुरज की दिव्य चमक
पथरीली, कंटीली राह मगर
तुझे यूं ही चमकते रहना हैं
6.कोई दाग़ ना कभी सुरज पे लग पाया
ना कोई कोशिश इसकी कर पाया
रिश्र्वत का दाग ना तुझपे लग पाए
जीवन में ईमान तुम्हारा खरीदने को
लाख जतन कोई कर पाए
7.कहे डॉ. राठौड़ कर्तव्य के दामन पर
रिश्र्वत और बदनामी के दाग़ कभी ना लग पाए
बेशक तुम सुरज इस राह पर
बस यूं ही चमकते रहना हैं।
बस यूं ही महकते रहना हैं।।

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