कारगिल विजय – उर्मिला पाण्डेय

कारगिल का युद्ध विश्व में सबसे प्रसिद्ध युद्ध ऐसा युद्ध आज तक कहीं भी नहीं हुआ बहुत ही अनुपम युद्ध था।
मैं आप सभी को कारगिल युद्ध के विषय में बताती हूं।
१०,मई १९९९,को पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया २०,मई तक हमारे जवान उन्हें खदेड़ते रहे परंतु वह कटुए कहां मानने वाले थे।
कारगिल क्षेत्र में जहां १७०००, फ़ीट नीची नीची खाइयां थीं ऊपर तीस फीट ऊंची बर्फ़ जमी हुई थी। उसके ऊपर यह युद्ध हुआ जब मेरे जवानों को प्यास भूख लगती तो बर्फ़ के टुकड़े चबा चबाकर उन्होंने युद्ध किया और मरते दम तक भारत माता के मस्तिष्क को झुकने नहीं दिया।घनी घनी कंटीली झाड़ियां थीं दूर दूर तक फैलीं हुईं थीं जो दिल दहलाने वाली जगह थी सर्दी इतनी कि गर्मी के मौसम में भी यहां हड्डियों को कंपाने वाली गला देने वाली सर्दी रहती है इस प्रकार के शीत क्षेत्र में जहां पवन भी मंद गति से चलते हैं तापमान शून्य रहता है। युद्ध बंद ही नहीं हुआ भारत माता के शिखर पर बम के गोलों की बर्षा हो रही थी।
अनेक वीर शहीद हो गए माताओं की गोद सूनी कर गये भारत माता ने उन्हें गोद लिया। किसी शहीद के यहां पुत्र का जन्म हुआ था बेटे के मुख कमल को नहीं देखा।
किसी का केवल एक पुत्र था वह लौटकर घर को नहीं गया पिता अपने बेटे की राह देख रहा था बेटा शहीद होकर गया।
किसी की नई नई शादी हुई थी नई वधू घर में थी शादी के तुरंत बाद सीमा पर बुलाया गया वहां जाकर शहीद हो गए वधू के हाथों की मेंहदी भी नहीं छुटी थी घूंघट के बोल भी नहीं खुले थे प्रियतम के बोल को अच्छी तरह सुना भी नहीं था उसके जीवन का सहारा चला गया और उसके लाल सिंदूर को पोंछ गया।
वह सती सावित्री रोई नहीं कहा कि मेरे पति भारत मां पे कुर्बान हुए हैं भारत मां की रक्षा करके पति ने पीढ़ी के चौदह कुल तार दिए जिनका इतिहास में नाम लिखा गया ऐसे पति को प्रणाम किया पुत्रवती स्त्री संसार में वही है जिसका पुत्र मातृभूमि की मांग भरता है।
कहा भी गया है
कै जननी तू भक्त जन,कै दाता या शूर।
नाहीं तौ तू बांझ रह,मती गंवावे नूर।।
पुत्र वती युवती जग सोई। मातृभूमि रक्षा सुत होई।।
हमारे देश की वीर जवान पच्चीस मई तक सहते रहे।
छब्बीस मई उन्नीस सौ निन्यानवे की अमिट कहानी बन गई।वीर सपूतों ने फिर जमकर युद्ध किया और एक एक आतंकी को पकड़ पकड़ कर मौत की नींद में सुला दिया।फिरभी और जो वहां इधर उधर छिपकर बैठे हुए घुसपैठियों को पकड़ पकड़ कर बंद कर लिया। एक इंच भी भूमि नहीं छोड़ी अपनी विजय पताका तिरंगा फहरा दिया। सच्चे वीरों की भारत माता की जीत हुई। नवाज़ शरीफ़ ने घुटने टेके और मुंह की खानी पड़ी।सारे संसार में मुंह दिखलाने काबिल नहीं रहे पाकिस्तान फिर से हार गया।
नवाज़ शरीफ़ घबराकर अमेरिका के राष्ट्रपति विल्किलंटन से बातचीत करने के लिए गया।मांफी मांगी और कहा कि हमारे घुसपैठियों को छुड़वादो हमने बहुत बड़ी ग़लती की है।
उस समय भारत के अटल बिहारी वाजपेई जी प्रधानमंत्री थे सारे विश्व ने उनका समर्थन किया।
भारत वीरों ने भारत माता की लाज को बचा लिया।
नवाज़ शरीफ़ ने घुटने टेके मांफी मांगी और सीमा रेखा का सम्मान किया।
उसमें जो शहीद हुए लहूलुहान कमांडो सुरेंद्र सिंह ,मरियप्पन कमलेश प्रसाद मेज़र, मेज़र विवेक राजेन्द्र हरेंद्रसिंह मनोज तलवार सच्चे देशभक्त भारत माता के तन मन धन सब वतन पर न्यौछावर कर दिया।
सारे विश्व ने भारत से हाथ मिलाया और पाकिस्तान की सारे विश्व में हंसी हुई। भारत माता को हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को सेना के रणबांकुरों पर गर्व हुआ। बच्चों से लेकर वृद्धों तक ने घायल जवानों का सम्मान किया और राज्य कोष में स्वर्ण और रुपयों का ढेर लगा दिया भारत माता के भक्तों पर तन मन धन सब अर्पण किया।
सारे विश्व में भारत माता की जीत की विजय पताका फहराई।
मेरी भारत माता को जो भी बुरी नजर से निहारेगा वह आन्यायी बचेगा नहीं उन दुष्टों को हमारे वीर सपूत सबक सिखाते रहेंगे।
भारत माता की जय।
उर्मिला पाण्डेय उर्मि कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश।