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मयखाने में भीड़ बड़ी है — महेन्द्र कुमार सिन्हा

 

मयखाने में भीड़ बड़ी है।यह इस जमाने का चलन है।यहां आदमी अपने जीवन में तनाव ग्रस्त है, और वे सोचता है कि नशा हमें तनाव से दूर कर देगा।यह और एक वहम फैला दिया गया है की नशा से तनाव कम होता है।जबकि नशा से मानसिक, शारीरिक, तथा आर्थिक हानि है ।पर इसे कौन समझाए नशा नाश की जड़ है। इसे तो मयखाने में आनंद दिखता है।नशा आज उसकी जरूरत बन गई है। आज समाज नशा के गिरफ्त में है।हर आदमी कोई ना कोई से लिप्त है।शराब तंबाकू गुटका गांजा भाँग बीड़ी सिगरेट आदि अन्य नशीले पदार्थों के सेवन में लगा है।नशीले पदार्थ सर्वदा हानिकारक है।ए हमारी जीवनी शक्ति को नष्ट करने का कारण है।अतः हमें मयखाने की रास्ता छोड़ मंदिर की राह पर चलना चाहिए।
जिससे हमारा कल्याण हो।हमारा जीवन महान हो।

महेन्द्र कुमार सिन्हा जय महासमुंद छत्तीसगढ़

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