संपर्क संस्थान के तत्वावधान में हिमाद्री समर्थ की पुस्तकों पर ऑनलाइन चर्चा

जयपुर 7 अगस्त 2025 रात 8:30 पर गूगल मीट पर वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा की अध्यक्षता में लेखिका हिमाद्री समर्थ की तीन अलग-अलग विधाओं की कृतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस विशेष ऑनलाइन साहित्यिक विमर्श के आयोजन में सम्मिलित कृति कस्तूरी मन (काव्य संग्रह)पर रेनू ‘शब्दमुखर’ दिल में बसे हो (रहस्यमयी रोमांचक प्रेमकथा) पर डॉ. कंचना सक्सेना,और भी हैं मंज़िलें (कहानी संग्रह)पर पवनेश्वरी वर्मा अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री सुनीता त्रिपाठी की मधुर आवाज़ में सरस्वती वंदना से हुई। तत्पश्चात सम्पर्क संस्थान की महासचिव समन्वयक रेनू शब्द मुखर ने काव्य पुस्तक ‘कस्तूरी मन’ को सरल भाषा में विलक्षण रूप से बांधा गया , रेनू,ललिता कापड़ी, मीनाक्षी मेनन,नीलम वंदना, आशा विजय भारती, अर्चना पवनेश्वरी,कंचना पुनिता ,जिनस,सुनिता, आदी हिमाद्री कीप्रत्येक कविता में एक आत्मिक जुड़ाव है। उनकी भाषा में या भाव में कहीं भी बनावटीपन नहीं है। प्रतीकात्मक रूप से‘कस्तूरी मन ‘ एक सशक्त शीर्षक है , जो भीतरी मन को उकेरने का प्रयास करता है।यह हिमाद्री की परिपक्वता का सजीव चित्रण है।
वहीं ‘दिल में बसे हो’ के लिए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कंचना सक्सेना जी ने पुस्तक को स्क्रिप्ट के रूप में मुकम्मल स्टोरी कहा। आपने पटकथा का बहुत ही सुन्दर विश्लेषण करते हुए कहा कि पटकथा का सर्वोत्तम गुण है — कहानी में भावात्मक संघर्ष और गतिशीलता। पटकथा में कहानी की मांग के हिसाब से गीत इसे और भी रोचक बनाते हैं। आपके कहानी संग्रह ‘और भी हैं मंजिले’ पर विचार रखते हुए साहित्यकार पवनेश्वरी वर्मा जी ने कहानी संकलन को गागर में सागर की तरह बताया। आपने हिमाद्री को हर विधा में सिद्धहस्त बताया। आपके संग्रह को सभी मानकों पर खरा बताया। सम्पर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने हिमाद्री की लेखनी को शब्दों की जादूगर बताया, क्योंकि वे हर विधा में लिखती हैं। उन्होंने हिमाद्री के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि हिमाद्री की पुस्तकें सामाजिक संदेश लिए हुए होती हैं ।जिन्हें सभी को पढ़ना चाहिए। अंत में हिमाद्री ‘समर्थ’ जी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अपनी लेखन यात्रा के विषय में बताया। अपने बारह तेरह वर्षों की इस सफल साहित्यिक यात्रा का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता और जीवन को दिया । माता पिता के आशीर्वाद और जीवन के तजुर्बों ने उन्हें एक लेखिका के रूप में स्थापित किया। जीवन की हर घटना और दुर्घटना हमें सीख देती है और इस सीख की भावनात्मक अभिव्यक्ति ही लेखन है। आपने अपनी इस यात्रा में सम्पर्क संस्थान के साथ को वटवृक्ष की छांव बताते हुए कहा कि इस संस्थान ने उन्हें सदा लिखते रहने के लिए प्रेरित किया है। साथ ही साहित्यिक मित्रों द्वारा पग पग पर प्रेरित किया जाता रहा है। यहीं से आपकी क़लम को ऊर्जा मिलती है।
इस आयोजन का सफल और खूबसूरत संचालन व्याख्याता एवं लेखिका डॉ. पुनीता द्वारा किया गया।