सनातन की रक्षा हर सनातनी का कर्तव्य — – जे. पी. शर्मा की कलम से
सनातन की रक्षा हर सनातनी का कर्तव्य —
– जे. पी. शर्मा की कलम से
सनातन धर्म, जो अनादि काल से मानव सभ्यता का मार्गदर्शन करता आ रहा है, केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है। इसका मुख्य उद्देश्य है मानवता की भलाई, प्रकृति का सम्मान, और विश्व में संतुलन बनाए रखना। इसकी रक्षा करना, हर सनातनी का परम कर्तव्य है, क्योंकि यह केवल धर्म की रक्षा नहीं, बल्कि संस्कृति, मूल्यों और सभ्यता की सुरक्षा का प्रश्न है।
सनातन धर्म का व्यापक दृष्टिकोण
सनातन धर्म का आधार वसुधैव कुटुम्बकम्, अर्थात सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार मानना है। इसमें किसी धर्म, जाति, रंग या पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। यह सभी जीवों के प्रति करुणा, सहिष्णुता और सम्मान का संदेश देता है। इसके सिद्धांत केवल धार्मिक आस्थाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐसी जीवनशैली है, जो मानवता, प्रकृति और ब्रह्मांड के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर देती है।
सनातन धर्म पर आधुनिक चुनौतियाँ
आज के समय में, तेजी से बदलती जीवनशैली, आधुनिकीकरण, और भौतिकवाद की दौड़ में, सनातन धर्म के मूल्यों को दरकिनार किया जा रहा है। कई विदेशी प्रभावों, सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों और गलत धारणाओं के कारण सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था कमजोर होती जा रही है। कई बार इसे पाखंड या अंधविश्वास के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि वास्तव में सनातन धर्म विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का संगम है।
हर सनातनी का कर्तव्य
हर सनातनी का कर्तव्य है कि वह अपनी परंपराओं और मूल्यों का संरक्षण करे और अगली पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराए। इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
1. ज्ञान का प्रसार: सनातन धर्म की शिक्षाओं और वेदों, पुराणों, उपनिषदों जैसे महान ग्रंथों का अध्ययन और प्रचार करना। इनकी गहराई को समझकर, इनके वैज्ञानिक और दार्शनिक पहलुओं को आधुनिक युग के साथ जोड़कर प्रस्तुत करना।
2. संस्कारों का पालन: परिवार और समाज में सनातन धर्म के संस्कारों का पालन करना, जैसे सत्य, अहिंसा, धर्मपालन, और पर्यावरण की सुरक्षा। अपने दैनिक जीवन में पूजा-अर्चना और यज्ञ-हवन जैसे कर्मकांडों का महत्व समझना और उन्हें जीवित रखना।
3. संस्कृति का संवर्धन: त्योहारों, धार्मिक आयोजनों और पारंपरिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेना, ताकि सनातन संस्कृति जीवंत बनी रहे। योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी प्राचीन विधाओं का समर्थन और अभ्यास करना।
4. एकता और सहिष्णुता का संदेश: हर सनातनी को यह ध्यान रखना चाहिए कि सनातन धर्म की रक्षा केवल अपने धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समस्त मानवता की भलाई के लिए है। इसके लिए सभी धर्मों, पंथों और संस्कृतियों का सम्मान करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
सनातन धर्म की रक्षा का दायित्व केवल धार्मिक पुरोहितों या विद्वानों का नहीं है, बल्कि यह हर सनातनी का कर्तव्य है। आज, जब धर्म और संस्कृति पर विविध प्रकार की चुनौतियाँ आ रही हैं, तब हम सभी को एकजुट होकर अपने सनातन मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। यह न केवल हमारे धर्म की धरोहर है, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग भी।
इसलिए, हर सनातनी को जागरूक रहना चाहिए और अपने कर्तव्यों को निभाते हुए सनातन धर्म की अखंडता और पवित्रता को बनाए रखना चाहिए। यही हमारा कर्तव्य है और यही हमारा धर्म है।
जे पी शर्मा / मुख्य संपादक, नजर इंडिया 24