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मेहनत की कमाई – लघु कथा // लेखक रमेश शर्मा

 

हमारे यहाँ सुबह सुबह छ:बजे पवन सर्दी गर्मी हो या बरसात रवि बेचारा साईकिल से अखबार डाल कर जाता है। शायद ही वह कभी छुट्टी करता है। यह क्रम वर्षों से चला आ रहा है।
सुबह चार बजे उठकर चौराहे पर आ जाता है। चार बजे राजस्थान पत्रिका की गाड़ी आ जाती है और पेपर उतार जाती है। यहाँ के हाकर सोनी न्यूज़ ऐजेंसी को छ:सौ न्यूज़ पेपर रवि लेता है। ढेड़ घंटा पेपर सेट करने में लग जाते हैं और पौने छ: बजे से पेपर बांटने लग जाता है और नौ बजे तक फ्री हो जाता है।
उसके बाद नहा धोकर खाना खा कर बारह बजे से पांच बजे तक स्कूल में पढ़ने चला जाता है। इस साल बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है। गरीब घर से होने के कारण इतनी मेहनत करके अपने पिता जो मजदूरी करते हैं उनकी सहायता करता है।

इस रविवार को हमारे पड़ोसी परशुराम चौधरी जी के यहाँ वह पैसे लेने गया तो उन्होंने डांट कर भगा दिया। बेचारा मायूस हो जाने वाला था। मैं बाल्कनी में खड़ा देख रहा था। मैंने इशारे से उसे बुलाया। पत्नी को चाय बना कर लाने के लिए कहा और उससे पूछा क्या बात हुई उसने बताया कि चौधरीसाहब ने पेपर का

हिसाब करते समय लेट पेपर आने का कारण बता कर पचास रु कम दिये। बड़ी मेहनत से मैं अपनी पढ़ाई का खर्चा निकाल रहा हूँ। लेकिन महिने में दो चार पार्टी ऐसी मिल जाती है जो पैसे कम देती है।
मेहनत की कमाई पर भी डाका पड़ जाता है।

रमेश शर्मा

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