पति- पत्नी अनोखा रिश्ता // लेखिका रश्मि मृदुलिका

स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक होते हैं | सुख – दुःख के साथी होते हैं, और जब पति- पत्नी के रिश्ते में जुड़ते है तब दोनों मजबूत और पवित्र रिश्ते में जुड़ जाते हैं| एक लगाव, चिंता, परवाह, प्रेम, गुस्सा, नाराज़गी न जाने कितने अनगिनत संवेग इस रिश्ते में बहते हैं|
जीवन यात्रा में एक दूसरे का ख्याल बिन कहे ही रखना इस रिश्ते की सबसे बड़ी खासियत है|हल्की डांट में प्रेम का भाव होता है| जैसे- जैसे उम्र बढ़ती है| ये साथ और गहरा होता जाता है| शायद रिश्ते का महत्व समझ आने लगता है या एक दूसरे पर निर्भरता बढ़ जाती है| या हो सकता है एक दूसरे की आदत हो जाती है| एक अनोखा रिश्ता, हर रिश्ते से अलग यह एक रिश्ता है| पुरूष की अपेक्षा स्त्री भावों की अभिव्यक्ति में ज्यादा मुखर होती है|
शायद इसलिए पति से नाराजगी होती है कि वह अपने भावों को जाहिर नहीं करता|
इस रिश्ते में बिछोह की कल्पना नहीं होती| और यदि काल के क्रूर हाथों यह बिछोह हो, तो पुरुष के मौन दर्द में यह बिछोह बहुत दारूण हो जाता है| आंखों में मुश्किल से रोके गए अश्रु अदंर तक चीर जाते हैं| समाज की सोच पुरुष मजबूत है| वो चिल्ला कर कैसे रो सकता है| उफ्! अन्याय है| पीड़ा को बाहर निकालने का अधिकार उसे भी है| उसका भी दिल घबराता है | भविष्य कि भयावहता उसे भी विचलित करती है| हर बात पर स्त्री पर निर्भर होने वाला वह पुरुष एक बच्चे के समान हो जाता है| उसे आश्रय चाहिए कि कोई संभाले| लेकिन वह भीड़ के बीच बैठकर रो नहीं सकता| उसे एकांत में ही रोना है| एक पिता के साथ माँ भी होना है|
इतना आसान नहीं होता पुनः जीवन प्रारंभ करना| आखिर भावनाओं से भरा उसका भी हृदय है| न जाने क्यों, हमारी परम्परागत सोच एक पुरुष को इंसान की तरह नहीं सोच सकती|पत्नी बिछोह की पीड़ा उसे भी तोड़ती है|
साथ तो साथ होता है| इस साथ का स्त्री होने या पुरुष होने से संबंध नहीं है|संबंध भावों से है|बिछोह की पीड़ा समान है|बस, अहम छोडिये, समय किसी के लिए नहीं रूकता| प्यारे से इस रिश्ते का सम्मान कीजिये|
रश्मि मृदुलिका