संस्मरण // लेखिका अमृत बिसारिया

उस समय मैं कक्षा पांच में पढ़ रही, मेरी जमाने में 5 class की परीक्षा भी बोर्ड की होती थी। है न कितनी पुरानी बात लेकिन मुझे आज अच्छी तरह से याद आया।
मेरी परीक्षा शुरू होने के पहले ही मेरी तबियत खराब हो गई थी। काफी दिनों तक जब बुखार नहीं उतरा तो डॉक्टर ने बताया कि मुझे टाइफाइड हो गया है। अम्मा बाबूजी को तो बहुत चिंता होने लगी कि मेरे एग्जाम का क्या होगा क्योंकि बोर्ड का एग्जाम था।
मैं बहुत कमजोर हो गई थी पढ़ाई भी उन दिनों कुछ नहीं हो पाई थी और हाथ में तो जैसे लिखने की ताकत ही नहीं थी फिर भी मुझे एग्जाम छोड़ना नहीं था, बचपन से हूँ धुन की पक्की हूँ।
मैं एग्जाम देने गयी और मेरी साथ मोटा सा गद्दा चादर और दो तीन तकिया भी गए, क्योंकि मैं अपने दम पर बैठ नहीं सकती थी, बहुत ज्यादा वीकनेस थी।
पेपर मिला मैंने लिखना शुरू किया लेकिन जहाँ पर लिखने के पेन रखती थी, मेरा हाथ खिसक जाता था।मेरे हैड मास्टर सर बार बार आकर देखते और वापस चले जाते थे।
इंस्पेक्टर भी आए हुए थे उन्होंने भी मुझे जब देखा कि मैं लिख नहीं पारही हूँ, फिर मेरे हेडमास्टर सर ने उनसे कहा किस सर,”कोई फोर्थ क्लास में पढ़ने वाला स्टूडेंट दे दिया जाए जो अमृत बोले उसे वो लिख सके, क्योंकि पढ़ाई में इसका रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है, ऐसा ही हुआ।
मेरी परीक्षा हुई इम्तहान खत्म हो गए, मन में धुकधुकी के साथ रिज़ल्ट का इंतजार हो रहा था। मैं प्रथम तो नहीं आ सकी लेकिन अच्छे नंबर से सेकंड आई।
आज भी याद करती हूँ तो सोचती हूँ कि फिफ्थ में मेरा बोर्ड का एग्जाम हुआ था?
अमृत बिसारिया