लघुकथा –चोर चोर मौसेरे भाई // लेखिका लता शर्मा

स्कुल की छुट्टी होते ही राज अपनी पत्नि शालू को संग ले घर की ओर चल पड़ा घर में दस और दो साल के बच्चे अकेले हैं जल्दी पहुंचना है सोचते।कुछ दुर ही गए थे कि अचानक एक बकरी अपनी मालिक से बिदककर राज के गाड़ी के सामने आ गई और चोट लग गई ,जिस औरत की बकरी थी वो हँगामा करने लगी कि राज की गाड़ी से टकराकर चोटिल हुई है अत:राज हर्जाना दे।राज व शालू दोनों परेशान।बकरी वाली औरत थाने चलने को कहने लगी कि एक पुलिस जैसा दिखने वाले आदमी को आते देख उससे अपनी बकरी को लगे चोट की बात बता और उग्र होने लगी। पुलिस वाला भी उस औरत का साथ दे रहा था।थक हार कर राज पैसा देने लगा कि वहीं पास रहने वाली महिला ने राज को बताया ,बकरी वाली व पुलिस वाले की सब मिली भगत है ए दोनों आए दिन ऐसे ही राहगीरों से पैसा ऐंठा करते हैं आप एक चोर की करतूत दुसरे को बताओगे तो कुछ नहीं होने वाला ए दोनों चोर चोर मौसेरे भाई हैं इनका काम ही यही है।
लता शर्मा त्रिशा