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लघु कहानी ‘फूलदान” // नरेंद्र त्रिवेदी

 

आज घर में पूजा रखी थी। सुमन थोडी चिंतित थी और काम के दबाव के साथ जल्दी में भी थी। सुमन की सासकी आवाज आई।
“सुमन..ओ..सुमन”
“कितनी बार तुझे बुलाना पड़ेगा, काम पर तेरा ध्यान केंद्रित नहीं है, बिना उद्देश्य अही तही घूम रही हो।जल्द ही फूलदान लाव, पूजामें यूँही देर हो चुकी है। तुम नहीं जानती लेकिन बा बहुत गुस्सेवाले थे।”
“ए आई बा” … जल्दी में, सुमन के हाथसे फूलदान नीचे गिर गई और टूट गई।सुमन डर की मारी गभरा गई।
“अरे! ए क्या कर दिया, यह फूलदान हमारे पिता दादा द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार था। आप उससे अनजान हैं।आप इस संकट का मूल्य नहीं जानती हैं। मैंने फूलदान का अपनी जानसे ज्यादा ध्यान रखा था ओर हर तरह से बचाया था। आज इसे तुमने तोड़ दिया।”
“गंगाबा उदासी में डूब गई, सुमन को ज्यादा भला बुरा कह दिया लेकिन उजमबा का ग़ुस्सेका डर लग रहा था।”
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उजमबा फोटो मेंसे यह सब देख रहे थे। हर बार पूजा शुरू होने के बाद उजमबा आशीर्वाद देने के लिए आते थे। लेकिन आज, उजमबा ने सुमन को रोते हुए देखा और गंगाबा को निर्देश देने के लिए जल्दी आ गए ओर कहा सुमनको फटकार न करें।
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उजमबा आप? ”
“हाँ, मैं”
“पूजा अभी तक शुरू नहीं हुई है। चांदी का फूलदान जो आपने मुझे संभालने के लिए दिया था वो सुमन से टूट गया, इसलिए पूजामे देरी हो गई।”
“तो गंगा तेरा ऐसा कहना है कि आप पूजा करते हैं, मुझे फोन करते हैं, फिर मैं आ शकती हूं, पहेले नही आ शकति।”
“नहीं, बा, चांदी के फूलदान को तोड़ दिया। उसके दुःख में आपको ऐसा सवाल कर बैठी, मेरा कोई दूसरा मतलब नही था।”
“मैंने आपको बताया था की यह दादाजी का उपहार है, अगर आप इसे उपयोग में नहीं लेती, सुमनको लेन के लिए नही बोलती, तो ये हादसा नही होता। गंगा ये तेरी गलती है और फटकार सुमनको लगा रही हो। में ग़ुस्सेवाली थी मगर आपको कभी इस तरहका भला बुरा नही कहा है।”
“बा आपकी बात सही है, गलती मेरी है।”
“गंगा फूलदान की मरम्मत की जाएगी। लेकिन दुल्हन, सुमनको तुजने जो फटकार दी, भला बुरा कहा उसका का क्या होगा।”
गंगाबा उजमबा को सुन रही थी।
एकाएक सुमन आई ओर पूछा, “बा आप किससे बात कर रहे थे?”
“सुमन बेटा मैंने आपको भला बुरा कहा इसलिए मुझे निर्देश देने के लिए उजम बा आये थे। उजम बा … मेरी सास।”
सुमन की आँखों में खुशी के आँसू थे कि भले ही चांदीकी फूलदान मुझसे टूट गई,मगर मेरी पूजा स्वीकार कर ली गई। सुमन दोड के उजमबा की तस्वीरों के पास पहोंची, देखा तो “फोटो में से हंसते हुए उजमबा दिखाई दिए।”
सुमनने कहा, “बा, उजमबा ने हमारी पूजा स्वीकार की है।
“हाँ, बेटा” … गंगाबा की आँखें आँसू के साथ भर गईं ओर सुमनको गले लगा लिया।

नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)

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