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कुछ नहीं (लघुकथा) // श्रीनिवास एन

पति पत्नी विहारयात्र को जा रहे हैं। पत्नी ने पति से बोला कि एक मिनिट रुको जी। क्यों? मेरी बात सुनो जी। ओके अब बोलो जी। कुछ नहीं चलो जी। पति ने बोला कि एक मिनिट रुको श्रीमति जी। क्यों ? मेरी बात भी सुनो जी। ओके अब बोलो जी ,कुछ नहीं। चलो जी। दोनों सोचकर चल रहे हैं। पत्नी ने कहा कि आप किसके बारे में सोच रहे है? कुछ नहीं। पति ने कहा कि तुम क्या सोच रहे है? कुछ नहीं। दोनों धीरे धीरे चल जाते समय एक बगीचा को देखा। पत्नी ने कहा कि आप क्या देखते है? कुछ नहीं। पति ने कहा कि तुम किसकी ओर देखते है? कुछ नहीं। मगर दोनों अपने आप चेहरे को देखकर बोला कि कुछ नहीं,ओके चलों। अचानक एक हाथी को देखकर भय से दोनों आलिंगन किया था।
अब क्या हुआ । कुछ नहीं।
श्रीनिवास एन