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आलेख // सपना बबेले

 

हमारे देश की बेटियों और बेटों के लिए लिख रही हूं।

आज जिस तरह से हमारी बेटियां आधुनिकता की आंधी में उड़ रहीं हैं, और अपने अभिभावकों से छल करके, ।विवाह कर रही है , बहुत ही चिंताजनक बात है। संस्कार संस्कृति का हनन हो रहा है, बहुत ही निंदनीय है।सबकी अपनी समाज का सम्मान होता है।सब बेटा बेटियों को अपनी ही समाज में विवाह करना चाहिए।
ये परंपरा पुरानी है और बहुत ही उपयोगी जीवन प्रदान करती है।
अपने माता-पिता के गौरव को बरकरार रखने में सहायक है।
शानदार जीवन जीने का कारक भी है। मैं ये नहीं कहती कि आपस में मिलजुल न रहो, बल्कि और प्रेम से जीवन यापन कर सकते हैं,जब हम सामाजिक नियमों का पालन करते हैं अगर अपने अपने सामाजिक नियमों का पालन करें।
बहुत ही खेद है कि कुछ अभिभावक तो अपने आधुनिक जीवन में इतने मस्त है कि पहले से ही सोच रखा कि मेरा बेटी जिसको भी शादी के लिए चुनेगी या चुनेगा,हम तो खुशी खुशी शादी कर देंगे।
हद तो तब हो गई जो माताएं अपनी बेटी से कहतीं हैं कि तुम अपना लाइफ पार्टनर खुद ढूंढ लो । बहुत ही निंदनीय और शर्मनाक सलाह है।खुद की स्वतंत्रता में बाधक बने बच्चे लव अफेयर में फंसे अपनी अस्मिता खो रहे हैं, और अपना जीवन बर्बाद कर रहे।
मैं उन अभिभावकों से कहना चाहती हूं कि इस तरह आप हमारी परंपराओं की क्यों ख़त्म कर रहे हैं।शायद अमीर दामाद मिल जाने पर खुद की जिंदगी एशो-आराम में कटेगी और दामाद के माता-पिता बृदधाश्रम के चक्कर काटते हैं।
भाईयों बहनों हमें समाज में जागरूकता पैदा करना होगी सबको अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास करना होगा ।
इसी कारण आज देखिए जातीय बंधन हटा और धर्म का भी ज्ञान समाप्त होता जा रहा है। बेटियां अन्य मज़हब को पसंद करने लगी है और अंत में अपने तन के टुकड़े टुकड़े करवा रहीं हैं।
जब जब समाज में परंपराओं से छेड़छाड़ हुई है,तब तब हमारे देश में भूचाल आया है।
आजकल रोज पेपर की खबरें हैं कि आज ये बेटी मारी गई तो आज ,इस बेटी का कत्ल हो गया।
एक पक्ष का ही दोष नहीं होता है, अपराध और अनैतिक कार्य में दोनों पक्ष दोषी होते हैं।
हमे अपने बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से परवरिश देना होगी।
बहुत ही अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है जबलपुर के उस परिवार ने जो जीते जी अपनी बेटी का पिंड दान कर दिया।
जो भी समाज के विरुद्ध आचरण करें हमें ऐसे लोगों का वहिष्कार करना होगा। मगर अफसोस कि वही लोग जिनके खोटे परिवार हो गये,समाज के मुखिया बनकर समाज को सुधारने की बात करते हैं, बहुत ही हास्यास्पद है।
मानवता और आध्यात्मिक दृष्टि से सब बराबर हैं परन्तु जहां वैवाहिक बंधन की बात है हर व्यक्ति को अपनी ही समाज में विवाह करना चाहिए।
समाज के नियमों का पालन करते हुए समाज का उत्थान भी होता है, और प्रत्येक व्यक्ति शानदार जीवन जीता है।
इस आलेख पर चिन्तन और मनन जरुर करें।
कहते हैं प्रेम किया नहीं हो जाता है, और एक दूसरे को निभाना तो आना चाहिए।
प्रेम विवाह होता भी है तो पूरी जिंदगी समर्पण भाव से दोनों परिवार सहमत होकर रह रहे हैं, ऐसे कई उदाहरण हैं।
लेकिन लव मैरिज के लिए बच्चों को खुली छूट देना ही सबसे बड़ी ग़लती है जो आज हो रहा है
ये मेरी स्वयं की सोच है ,आप सब सहमत हो ये ज़रूरी नहीं।
सनातन धर्म की जय हो।

सपना बबेले स्वरा झांसी उत्तर प्रदेश

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