Uncategorized

प्रथम मिलन // जानेमाने लेखक, कवि व पत्रकार अरविंद शर्मा (अजनवी) की कलम से

तेरी आँखों में जब पहली बार,
प्रेम का दीप जला देखा।
मन के सूने आँगन में मैंने,
कोई मधुमास खिला देखा ॥

संध्या की सुषमा थी मुख पर,
जैसे दीपक में बाती हो।
शब्द ठिठककर रह जाते थे,
सांसों में जैसे थिरकन हो॥

हथेलियों में छुपा था सावन,
ह्रदय में मधुमय गान था।
सपनों की घाटी में जैसे,
आया मधुर विहान था॥

तू मुस्काई तो लगा अचानक,
जैसे कोई सरगम जाग उठी।
मेरे हृदय के मंदिर में जैसे,
कोई नूतन आरती गान उठी॥

पहले स्पर्श की सौंधी ख़ुशबू,
अब भी मुझसे लिपट रही।
जैसे चंदन वन की छाया,
मन के आँगन में छिटक रही॥

जब भी देखूँ मैं स्वप्न तेरा तो,
मन के तार बज उठते हैं।
जैसे छू जाए कोई झोंका,
और जुगनू जगमग उठते हैं॥

रात की चुप्पी में जब-जब,
चाँदनी खिड़की तक आती।
तेरी परछाईं बनके मुझको,
बाहों में भरने लग जाती॥

जब भी सोचूँ मैं उस पल को,
आया जो मधुर विहान था।
तेरा प्रथम मिलन था मुझसे,
या सृष्टि का नव गान था॥
अरविंद शर्मा अजनबी
लखनऊ उत्तर प्रदेश

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!