इन्कार में भलाई निहित है — रामसेवक गुप्ता

एक चिड़िया गौरैया, बरसात के मोंसम में, घोंसला निर्माण हेतु, एक बाग में पहुंचीं और एक वृक्ष से अनुरोध किया कि,हे वृक्ष देव मुझे, बरसात में पनाह हेतु अपने तने पर घोंसला बनाने की इजाजत दीजिए। लेकिन उस वृक्ष ने मना कर दिया,कि बहन मैं आपकी सहायता करने में असमर्थ हूं।
फिर वह गौरैया दूसरे पेड़ से कहतीं है कि भाई वृक्ष भैया मुझे बरसात के मोंसम में बच्चों को भीगने से बचाने हेतु एक नीड़ बनाने के लिए अपने ह्रदय में आश्रय दीजिए, ताकि मेरे बच्चे सुरक्षित रह सकें।। गौरैया चिड़िया की करुण पुकार सुनकर, पौधे को दया आ गई और उसने वचन दिया कि आप बेझिझक मेरे ऊपर घोंसला बना लीजिए, ताकि आप और आपके बच्चे हिफाजत से यहां रह सकें।। फिर चिड़िया ने बड़ी मशक्कत व श्रम से सुंदर एक घोंसला तैयार किया और बरसात से निजात की तरकीब उसकी काम कर गईं।।
कुछ दिनों पश्चात ही बारिश का दौर शुरू हो गया, जिससे पहले वाले वृक्ष की जड़ें उखड़कर बहते हुए जल में प्रवाहित होने लगीं,यह देखकर गौरैया बहुत खुश भी हुई और मन में क्षोभ भी उत्पन्न हुआ।।
वह वृक्ष से रुखे स्वर से बोली, अरे वृक्ष भाई आपने,उस समय मुझे रूष्ट किया था, मेरी मदद नहीं की, घोंसला बनाने में, आज ये दिन आपको नहीं देखने पड़ते,इस बर्बादी के आप स्वयं जिम्मेदार हैं,जो दूसरों की सहायता नहीं करते हैं वह सड़क पर आ जाते हैं और अनेक मुसीबतों का सामना करते हैं।।यह सुनकर पहले वाले वृक्ष की आंखों में आंसू आ गए और विलाप करते हुए वह बोला बहन आपने मुझे गलत समझा है, मेरी स्थिति पहले ही ख़राब थी, मैं कभी भी आंधी या बरसात में गिर सकता था, जिससे आपको हानि होती, इसलिए मैंने मना किया था।यह सुनकर गौरैया को, इंकार शब्द से ग्लानि हुई,और वह वृक्ष के फैसले पर खुश थी, कभी कभी इंकार में भलाई निहित होती है,यह बात वो समझ चुकी थी।।
रामसेवक गुप्ता