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दुनियां की बदलती तस्वीर — प्रेममणी एसलीना 

 

दुनियां की बदलती तस्वीर देख धुंधले दिनो की तस्वीरे याद आ गई
वो कितना सुकून भरा दिन हुआ करता था।
हम बिना डर के हर जगह आते जाते थे,भाईयो,दोस्तो,मुहल्ले के लड़को के साथ बेफिक्र खेलते थे।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में भाई भाई का नारा तब सच प्रतीत होता था
सब त्यौहारों में चहक देखने मिलती
किसी भी धर्म का त्यौहारों हो पकवानों का इंतजार होता था।
सारे त्यौहार शौक से मनाते थे।
हम हमारे माता पिता एक साथ समय बिताते तब इतनी असमानता देखने को कभी नहीं मिली।
तब कहां पता था एक
दिन इतनी असमानता देखने को मिलेगी
ये गृहयुद्ध,विश्वयुद्ध तो सिर्फ पुस्तकों की बाते थी,ये महामारियां ये त्रासदी सब कुछ आजकल आंखो देखा हाल हो गया।
पहले भी हादसे होते थे लेकिन काम होते थे।
मुझे समाचार देखना,अखबार पढ़ना पसंद था
लेकिन धीरे धीरे मुझे सब देख सुन डर लगने लगा,मैने तब से समाचार और अखबार देखना,पढ़ना छोड़ दिया।
जब देखो हादसे,दुर्घटनाएं न जाने क्या क्या।
लेकिन साहित्य के क्षेत्र में कदम बढ़ाते ही इसकी जरूरत फिर पड़ ही गई।
न्यूज चैनल्स की भरमार उस पर प्रसारण
का तरीका जल्दी ही उत्सुकता खत्म कर देता है।
सोशल मीडिया में उलजुलुल वीडियो बनाना, नफरते व अश्लीलता फैलाना,फेक न्यूज, फ्रॉड मामले।
सब कुछ धीरे धीरे दुनियां की सुंदर तस्वीर को बर्बाद करते जा रहे है।
कुछ भी अपलोड करे कोई भेड़चाल से एक जो कहता सब वही कहते, एक गाली गलौच
करता तो सब वही करते एक तारीफ करता तो सब वही करते।
लड़ाई,झगड़ा,विचार,
मनन चिंतन,पढ़ाई,सीखना सिखाना,पैसे कमाना और भी बहुत कुछ सब फोन में हो जाता है।
घर में सब सदस्य फोन में व्यस्त,किसी को जैसे फुरसत ही नही।
आगे क्या होगा क्या पता?
लेकिन एक बात जरूर कह सकती हूं मैं की फिर वो सुंदर दिन कभी नही लौट पाएंगे।
हमे अपने जीवन को सुंदर बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।
सबसे प्रेम व्यवहार से रहना चाहिए।
आपसी मतभेद खत्म करना चाहिए,खुद को बदलने का प्रयत्न करना चाहिए।
मिलजुल कर इस दुनियां की तस्वीर बदलने का प्रयत्न करना चाहिए।
इस ईश्वर प्रदत जीवन में मानवता का विकास करना चाहिए,
कितना सुकून होता है न,मंदिर की घंटी की धुन,अजान से सुबह की भोर,चर्च की प्रार्थना,गुरुद्वारे की अरदास।
मानवता,प्रेम,सहयोग,शांति,अध्यात्म,हमे मानव बनाए रखते है, इसे बरकरार रखे।
ताकि अगली पीढ़ी को सुंदर दुनियां, एक सभ्य समाज,एक सभ्य परिवार मिले।

प्रेममणी एसलीना सिमरन
नागपुर महाराष्ट्र

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