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शिक्षाप्रद लघु कथा भरी जेब और खाली जेब –डॉ मीरा कनौजिया

 

रामू और श्यामू दो मित्र थे। आपस में बहुत घनी मित्रता थी।रामू गरीब था और श्यामू धनी। लेकिन धीरे-धीरे श्यामू को अपने पैसे का घमंड होने लगा, एकदम बदल गया। रामू जो गरीब था उससे नफरत करने लगा। रामू सीधा-साधा लड़का था।
बात-बात पर उसको झटक देता और कहता तुम दरिद्र हो । क्योंकि अब श्यामू को एक नया दोस्त मिल गया था , राघव। श्याम को मित्र परखने की कोई पहचान नहीं थी।
रामू धीरे से श्याम और राघव की दोस्ती के बीच से हट गया।
राघव बहुत चालाक था, उसने श्यामू के धनी होने का फायदा उठाया और उसके पैसे खूब खर्च करवाने लगा।
श्यामू एक बिजनेसमैन का बेटा , उसके पिता ध्यान नहीं देते। बहुत सारे पैसे अलमारी से चुराकर जेब भरकर लाकर राघव के साथ अनाप-शनाप खर्च करता।
अब श्याम को घर से एक भी पैसा नहीं मिलता था।
एक दिन राघव और श्यामू ने मिलकर रात को चुपचाप पड़ोस घर में चोरी की, राघव तो भाग गया, लेकिन श्यामू पकड़ा गया। पुलिस श्यामू को पकड़ कर ले गई। श्यामू के माता-पिता ने अपने बेटे को जेल से छुड़ाने के लिए इंकार कर दिया।
जब रामू को पता लगा कि उसका मित्र श्यामू को जेल हो गई है तो उसने मेहनत की कमाई से कमाए गए पैसों से श्यामू को जेल से छुड़ाया।
मित्र के पास पैसा हो या ना हो हमें समानता की दृष्टि रखनी चाहिए। विपत्ति में जो व्यक्ति काम आए, वही सच्चा मित्र होता है।
डॉ मीरा कनौजिया काव्यांशी

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