चलो दिलदार चलो, ताज के पास चलो — मंजू शर्मा

हम सभी ने अक्सर एक विज्ञापन जरूर देखा होगा और इस विज्ञापन में उस्ताद जाकिर हुसैन तबले की थाप के बीच कहते हैं… अरे हुजूर वाह ताज बोलिए….। हालांकि वह एक चाय के ब्रांड का विज्ञापन है, लेकिन उस्ताद जाकिर हुसैन ने इससे ताज की खूबसूरती में चार चांँद लगा दिए। आज भी ताज की अपनी एक पहचान है। सफेद संगमरमर से बनी इस इमारत को देखने हर साल हजारों-लाखों लोग पहुंचते हैं, पर फरवरी के आठ दिन यहां के लिए बहुत खास होते हैं…. कारण ताज महोत्सव… इस बार भी ताज महोत्सव आ गया और उसकी तैयारी जोरों पर चल रही है।
ताज के बारे में भला कौन नहीं जानता? इसे देखने को जनता विदेशों से भी आती है। इतना ही नहीं विदेशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भी जब भारत का दौरा करने आते हैं तो उसमें उनकी ताज यात्रा भी शामिल रहती है। ये मौन इमारत लोगों के मन को खूब लुभाती है।
ताज महोत्सव की शुरुआत भारत के पर्यटन विभाग द्वारा 1992 में की गई थी। उसी दिन से ताज महोत्सव को पूरे 10 दिन के लिए धूम-धाम से मनाया जाता है। ये महोत्सव फरवरी माह की 18 से 27 तारीख तक चलता है। इसमें भारत के सभी शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है।
इसमें कई तरह के कार्यक्रम शामिल किए जाते हैं। खाने-पीने के भी अनेक फूड स्टॉल लगाए जाते हैं। जो लोगों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं। इसके माध्यम से आपको आगरा की पाक कला देखने को मिलती है । यहाँ लोग आगरा शहर के खाने का खूब लुत्फ उठाते हैं। इस महोत्सव में हर कार्यक्रम आकर्षण का केन्द्र है। यहाँ संस्कृति, खान-पान, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है।
ताज महोत्सव में 400 से अधिक प्रसिद्ध शिल्पकारों के स्टॉल होते हैं और 15 के आस-पास फूड स्टॉल शामिल होते हैं। इन प्रसिद्ध शिल्पकालों में सहारनपुर की लकड़ी की नक्काशी, मुरादाबाद के पीतल और अन्य धातु के बर्तन, बदोही के हस्तनिर्मित कालीन, खुर्जा के नीले मिट्टी के बर्तन, लखनऊ के चिकन के काम, वाराणसी के रेशम, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन, कश्मीर,गुजरात के शॉल और कालीन, फर्रुखाबाद से हाथ से छपाई, तमिलनाडु से लकड़ी,पत्थर की नक्काशी, उत्तर पूर्व भारत से बांस,बेंत का काम, पश्चिम बंगाल से कांथा सिलाई, और दक्षिण भारत से पेपर और मैश का कार्य शामिल है। इसके साथ इस महोत्सव में लोकनृत्य और शास्त्रीय संगीत का आयोजन भी किया जाता है। वहीं बच्चों के मनोरंजन के लिए कई सारी राइड्स और झूले भी जैसे रोलर कोस्टर, मीरा-गो-राउंड ट्रेन की सवारी आदि भी शामिल है।
ताज महोत्सव पर कितने ही लोग धड़कते दिलों से एक दूसरे का हाथ थामे कहते हुए नजर आते हैं….
चलो दिलदार चलो ताज के पास चलो…
मंजू शर्मा कार्यकारी संपादक